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शीघ्र बहाली नहीं हुई तो राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला में सारे पद हो जाएंगे खाली, फिर कैसे होगा छऊ नृत्य कला का संरक्षण ?

नगर उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने विभागीय सचिव को पत्र लिख स्थापना नीति बनाकर शीघ्र बहाली की मांग की…..

सरायकेला (संजय मिश्रा)  सरायकेला नगर पंचायत उपाध्यक्ष सह छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के सलाहकार सदस्य मनोज कुमार चौधरी ने सरकारी स्तर से संचालित होने वाली संस्थान राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला में रिक्त होते हुए पदों पर चिंता व्यक्त करते हुए जल्द बहाली प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है.

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साथ ही विभाग से छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला में बहाली हेतु एक ठोस स्थापना नीति बनाने की मांग की है. ताकि कला केंद्र में गुरु, नर्तक, वाद्य यंत्र बजाने वाले, पोशाक निर्माता, मास्क निर्माताओं एवं अन्य कर्मचारियों की नियमावली के अंतर्गत बहाली हो सके. इसमें वैसे कलाकारों को प्राथमिकता मिले जिन्होंने इस क्षेत्र में 10 से 15 साल का अनुभव प्राप्त किया हो. उनको प्राथमिकता/वरीयता के साथ राजकीय नृत्य कला केंद्र में प्रतिनियुक्त करने हेतु नीति निर्धारण किया जाए.

इस संबंध में सरायकेला नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के अध्यक्ष सह उपायुक्त के माध्यम से पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार के विभागीय सचिव को पत्र प्रेषित कर इस ओर ध्यानाकृष्ट कराया है। उन्होंने पत्र में सरायकेला छऊ नृत्य कला के गौरवशाली इतिहास एवं विश्व में इसकी ख्याति का जिक्र करते हुए इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि सरायकेला छऊ नृत्य का इतिहास काफी समृद्ध एवं गौरवशाली रहा है. सरायकेला राजघराना (रियासत) से निकली छऊ नृत्य कला केवल कला ही नहीं अपितु इस क्षेत्र का एक बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है. भारत के आजादी के समय देशी रियासतों के विलय संधि समझौता के अनुसार छऊ नृत्य सहित इस क्षेत्र के मंदिरों एवं धार्मिक अनुष्ठानों के साथ क्षेत्र की परंपराओं के निर्वहन सरकार द्वारा किया जाना है. सरायकेला छऊ नृत्य के बदौलत भारत एवं झारखंड प्रदेश का नाम विश्व में रोशन हुआ है. छऊ नृत्य के कलाकारों द्वारा छऊ नृत्य के उम्दा प्रदर्शन व भाव भंगिमाओं एवं विशेषताओं को देखते हुए छऊ नृत्य के कई बेहतरीन कलाकारों को भारत सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च सम्मानों में से एक पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. यही नहीं छऊ नृत्य के उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए यूनेस्को ने छऊ नृत्य कला को विश्व की अमूर्त कलाओं की धरोहरों की सूची में शामिल किया है. सरायकेला के हर क्षेत्र में कलाकार बसते हैं.

यहां के कण-कण में कला बसी हुई है. सरायकेला कलाकारों की नगरी है, इसीलिए झारखंड बनने के बाद झारखंड सरकार द्वारा सरायकेला को झारखंड की कला-संस्कृति की राजधानी घोषित किया गया था। मर्जर एग्रीमेंट के अनुसार छऊ नृत्य कला एवं कलाकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्यों से निहित सन 1961 में राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की स्थापना की गई थी. स्थापना काल से ही राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र को स्थापित करने के तौर-तरीकों पर हमेशा उंगली उठती रही, क्योंकि छऊ नृत्य कला से इस क्षेत्र की काफी बड़ी आबादी जुड़ी है एवं इस क्षेत्र से बड़ी संख्या में छऊ नर्तक, वाद्य यंत्र बजाने वाले, पोशाक निर्माता, मास्क निर्माता इत्यादि हजारों कलाकार जुड़े हुए हैं, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि इतनी लोकप्रिय कला और इतनी बड़ी आबादी के जुड़े होने के बावजूद तत्कालीन सरकारों द्वारा मर्जर एग्रीमेंट की बाध्यता या अन्य कारणों से बिना कोई नीति निर्धारण (स्थापना या पाठ्यक्रम) कर झुनझुना पकड़ाते हुए नाममात्र का राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की स्थापना कर दी गई थी. तत्कालीन सरकारों द्वारा बिना नीति निर्धारण के राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की स्थापना का दंश अब हम लोगों के सामने दिख रहा है. क्योंकि उस समय से पदस्थापित 8-10 लोगों में से अब एक-एक करके लगभग सब सेवानिवृत्त हो रहे हैं और अभी वर्तमान में केवल एक या दो पद पर पदस्थापित नर्तक/कर्मचारी बहुत जल्द सेवानिवृत्त होने वाले हैं.

बहुत ही गंभीर एवं चिंतनीय विषय है कि आने वाले समय में विश्व के प्रसिद्ध छऊ नृत्य कला का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र सरकारी संस्थान राजकीय नृत्य कला केंद्र बिना गुरु, नर्तक, वाद्य यंत्र बजाने वाले, पोशाक निर्माता, मास्क निर्माताओं व कर्मचारी (बिना स्थापना नीति) के कैसे चलेगा. विश्व की अमूर्त धरोहर, सरायकेला और झारखंड की शान छऊ नृत्य कला व कलाकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जल्द से जल्द सरायकेला के राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की स्थापना नीति बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है. ताकि हमारी संस्कृति और हमारे छऊ नृत्य से जुड़े कलाकारों का भविष्य उज्जवल होगा. उक्त जानकारी देते हुए मनोज कुमार चौधरी ने बताया है कि कला संस्कृति एवं पर्यटन सचिव ने भी मामले पर सकारात्मक नजरिया दिखाते हुए उन्हें मामले पर बातचीत और समस्या के निराकरण के लिए आमंत्रित किया है।

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