Spread the love

समाज व परिवार को बचाए रखने के

लिए धैर्य संयम की नितांत

आवश्यकता: वेदव्यास जी महाराज….

 

सरायकेला Sanjay :  मारवाड़ी युवा मंच एवं मारवाड़ी महिला समिति सरायकेला द्वारा मारवाड़ी धर्मशाला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कथा सुनाते हुए वेद व्यास जी महाराज ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे है वहां आपका, आपके इष्ट का या अपने गुरु का अपमान ना हो। यदि ऐसा होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए।

चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों हो। कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया।

परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है।

अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। प्रहलाद चरित्र के विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ संगीतमय प्रवचन दिए।

संत भगतराम ने कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है तब तक वह बाहर निकलने के लिये छटपटाता रहता है। उस समय वह जीव बाहर निकलने के लिये ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे करता है। मगर जन्म लेने के पश्चात सांसारिक मोह माया में फंस कर वह भगवान से किए गए वादों को भूल जाता है। जिसके परिणामस्वरूप उसे चौरासी लाख योनी भोगनी पड़ती है। संत श्री ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भगवान ध्रुव के सत्कर्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना,उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ।


कथा के दौरान विभिन्न झांकियां आर्कषण का केंद्र रही। कथा में मुख्य यजमान राजकुमार अग्रवाल द्वारा भागवत जी एवं व्यास जी का पूजन कर भव्य आरती की गई एवं भंडारा के साथ आज दूसरे दिवस की कथा संपन्न हुई।

भागवत कथा में मुख्य रूप से नगर पंचायत के उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी, मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष राहुल अग्रवाल उपाध्यक्ष आकाश अग्रवाल, सत्यनारायण अग्रवाल, रमन चौधरी, अरुण सेकसरिया, संदीप सेक्सरिया, सुनील सेक्सरिया, गौरंग मोदक, विमलेश चौबे, रामलखन प्रसाद, विश्वनाथ साहू, विजय सेक्सरिया, स्नेहलता चौधरी,रेखा सेक्सरिया, संगीता चौधरी, इन्द्रा अग्रवाल, सुनीता सेक्सरिया, सरोज सेक्सरिया, विमल चौधरी, कमल चौधरी, कमला देवी, अनिल मिश्रा एवं भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने श्रवण लाभ लिया।

Advertisements

You missed