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रथयात्रा: “रथखला पूजा” के साथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ के तैयार हो रहे रथ में कारीगरों ने चारों पहिए लगाकर रथ को किया खड़ा; 20 को महाप्रभु करेंगे रथयात्रा . . .

बुखार से पीड़ित होने के बाद महाप्रभु विश्राम के लिए गए अन्नसर गृह में; श्री मंदिर का सिंहासन हुआ खाली; 19 को नवयौवन रूप में दर्शन देंगे महाप्रभु।

  • सरायकेला : SANJAY 

अलौकिक परंपराओं के बीच सरायकेला की परंपरागत प्राचीन रथयात्रा के धार्मिक संस्कारों को लेकर शुक्रवार की शाम रथखला पूजा का आयोजन किया गया। जिसमें अक्षय तृतीया से शुरू कर तैयार किए जा रहे महाप्रभु श्री जगन्नाथ के रथ में विश्वकर्मा कारीगरों ने शुक्रवार की शाम रथखला पूजा करते हुए चारों पहियों को रात में लगाकर खड़ा किया। और आवश्यक जांच कर विभिन्न लकड़ियों से रथ को जोड़ा गया। इस दौरान जगन्नाथ सेवा समिति सरायकेला के अध्यक्ष सिद्धार्थ शंकर सिंहदेव उर्फ राजा सिंहदेव, सचिव पार्थ सारथी दाश, कोषाध्यक्ष राजीव लोचन महापात्र, राजेश मिश्रा, कार्तिक कुमार परिच्क्षा सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे। जबकि रथ निर्माण कारीगरों में तरणीसेन नायक, सूरज गोप, गणेश नायक, सुरेश नायक, करण नायक और अंगद नायक रस निर्माण कार्य में लगे रहे। बताते चलें कि परंपरागत रथ यात्रा के तहत आगामी 19 जून को महाप्रभु बीमारी से ठीक होने के बाद नवयौवन वेश में अपने भक्तों को दर्शन देंगे। और इसके दूसरे दिन 20 जून को आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को महाप्रभु श्री जगन्नाथ, अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ मौसी बाड़ी के लिए रथारुढ़ होकर प्रस्थान करेंगे।

बुखार से पीड़ित महाप्रभु का जारी है इलाज:-
देव स्नान पूर्णिमा पर सहस्त्रस्नान के बाद खट्टे आमड़े की सब्जी का सेवन कर महाप्रभु ज्वर से पीड़ित हो गए। जिसके बाद उन्हें श्री मंदिर स्थित अन्नसर गृह में स्वास्थ्य लाभ और विश्राम के लिए लाया गया है। जहां महाप्रभु का स्वास्थ्य लाभ के साथ साथ समुचित परंपरागत इलाज भी सिर्फ मंदिर के पुजारी पंडित ब्रह्मानंद महापात्र द्वारा चलाया जाएगा। इसके साथ ही श्री मंदिर का सिंहासन अगले 15 दिनों के लिए खाली हो गया। जिस का दर्शन करते हुए भक्तों द्वारा परंपरा अनुसार आराधना भी किया जा रहा है। हालांकि श्री मंदिर के बंद दरवाजे से ही भक्तों ने सिंहासन के दर्शन और पूजा अर्चना कर रहे हैं। बताया गया कि परंपरा अनुसार आगामी 19 जून को औषधीय उपचार के बाद स्वस्थ होकर नेत्र उत्सव पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपने भक्तों को नवयौवन रूप में दर्शन देंगे। जिसके बाद वार्षिक रथयात्रा का शुभारंभ होगा।

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