दो बार मुखिया रह चुके 76 वर्षीय एमए एलएलबी गुरुपद महतो ने साझा किए अपने समय के विचार ; कहा…..
पहले नहीं था आरक्षण; लोग उत्साह से अपने लिए धोती वाले पढ़े
लिखे मुखिया को चुनते थे….
सरायकेला। वर्तमान के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव व्यवस्था से दुखी 76 वर्षीय पूर्व मुखिया गुरुपद महतो ने अपने समय के चुनाव का हाल शेयर किया है। सरायकेला प्रखंड के तत्कालीन जुरगुड़िया पंचायत ( वर्तमान में छोटा दावना पंचायत) से दो बार मुखिया का चुनाव जीते गुरुपद महतो बताते हैं कि उनके समय में पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी।
सभी सीटें सामान्य हुआ करती थी। जिस पर नियम के तहत कोई भी चुनाव लड़ सकता था। वर्तमान में पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था देकर लोगों और मतदाताओं में वर्ग व्यवस्था को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही दर्जनों पंचायत में जहां वर्ग विशेष की जनसंख्या नहीं होने के बावजूद उसे भी आरक्षित कर दिया गया है।
इस पर मतदाता वैकल्पिक व्यवस्था देखते हुए अनमने तरीके से मतदान करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए भी बताया है कि क्षेत्र अंतर्गत बड़ा कांकड़ा, बांधडीह, नारायणपुर, टेंटोपोसी, मुड़िया, दुगनी एवं बीरबांस जैसे पंचायतों में आरक्षित वर्ग की पर्याप्त जनसंख्या नहीं के बराबर होने के बावजूद भी वहां के सीटों को आरक्षित कर दिया गया है।
अपने समय के चुनाव का हाल बताते हुए पूर्व मुखिया गुरुपद महतो कहते हैं कि उस समय पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था नहीं दी गई थी। सभी सीटें सामान्य हुआ करती थी। जिसमें 4 पद मुखिया, सरपंच, पंच एवं वार्ड सदस्य के लिए चुनाव हुआ करता था। और मतदाता बिना किसी जागरूकता के ही उत्साह के साथ अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनते थे। जिसमें गांव में सबसे अधिक पढ़े लिखे और जानकार उम्मीदवार तथा परंपरागत धोती कुर्ता वाले उम्मीदवार मतदाताओं की पहली पसंद हुआ करता था।
गांव के लोग और मतदाता भी उस समय उम्मीदवार विशेष में बंटे हुए नहीं थे। गांव पहुंचने वाले सभी उम्मीदवारों की बात सभी ग्रामीण सुना करते थे। कोई भी धन-बल जैसी बात उस समय नहीं हुआ करती थी। उस समय पंचायत को पर्याप्त अधिकार भी प्राप्त थे। जहां मुखिया पंचायत का हेड ऑफ़ एक्सक्यूटिव बॉडी हुआ करता था। और सरपंच हेड ऑफ जुडिशरी बॉडी हुआ करता था। गांव के छोटे-मोटे विवाद के मामले पंचायत भवन में ही सुलझा लिया जाता था। और जो मान्य भी होता था। वर्तमान में गांव के छोटे-मोटे झगड़े के लिए ग्रामीण थाने तक का चक्कर लगाते हैं।
जाने पूर्व मुखिया गुरुपद महतो को :-
सरायकेला क्षेत्र में मुखिया जी के नाम से प्रसिद्ध पूर्व मुखिया गुरुपद महतो ने वर्ष 1970 में ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद 1971 में मुखिया पद का चुनाव अपने जुरगुड़िया पंचायत से लड़ा था। जिसमें कुल 7 उम्मीदवारों में से उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 500 मतों से हराकर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद वर्ष 1973 में उन्होंने अपनी एमए की पढ़ाई पूरी की। और 1975 में एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1975 से लेकर 1998 तक गुरुपद महतो काशी साहू महाविद्यालय सरायकेला में पॉलिटिकल साइंस के एडवोक प्रोफेसर के रूप में कार्य किए। इसी दौरान उन्होंने वर्ष 1978 में दोबारा मुखिया पद का चुनाव अपने जुरगुड़िया पंचायत से लड़ा। और 9 उम्मीदवारों में से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 684 मतों से पराजित कर विजय हासिल की थी।