पद्मश्री छुटनी महतो के नेतृत्व में आदिवासी सेंगेल अभियान चलाएगी डायन कुप्रथा उन्मूलन जन जागरण अभियान…
सरायकेला: संजय मिश्रा
सरायकेला। आदिवासी सेंगेल अभियान अब पद्मश्री छुटनी महतो के नेतृत्व में डायन कुप्रथा उन्मूलन जन जागरण अभियान चलाएगी। आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने सरायकेला के गार्डन इन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसे लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान का नया नारा है डायन नहीं होते हैं, डायन बनाने वाले होते हैं, इसलिए उनको पहचान कर पकड़ कर दंडित किया जाए। उन्होंने डायन कुप्रथा के पीछे सामाजिक स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि समाज और गांव में डायन कुप्रथा को संचालित करने वाले झाड़-फूंक के नाम पर ओझा सोखा और गुनी मुख्य रूप से हैं।
इसके अलावा आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में माझी परगना और मानकी मुंडा का भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इसमें भागीदारी होता है। इसके अलावा गांव के कुछ दबंग लोग अपने स्वार्थ के लिए डायन बनाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आगामी 3 अगस्त से इस नए अभियान की शुरुआत सरायकेला से की जाएगी। जिसमें एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और जुलूस के माध्यम से जन जागरूकता के बाद जिले के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को अभियान के 5 सुझावों की जानकारी दी जाएगी। जिसके तहत जिस गांव में डायन प्रताड़ना का मामला सिद्ध हो जाता है, उस गांव के लोगों पर सामूहिक जुर्माना लगाया जाए।
झाड़-फूंक करने वाले ओझा सोखा गुनी को महीने में एक दिन स्थानीय थाना में बुलाकर बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधियों के संग उनकी बैठक कराई जाए। आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रतिनिधियों को थाने में बुलाकर स्पष्ट निर्देश दिया जाए कि यदि आपके क्षेत्र में डायन प्रताड़ना का कोई भी मामला सामने आता है तो सबसे पहले आपको मामले का जिम्मेवार माना जाएगा। चौथे सुझाव के रूप में आदिवासी गांव समाज में व्याप्त बहुत प्रकार की बुराइयों अंधविश्वास
और कुप्रथा को दूर करने के लिए सरकार और समाज के स्तर पर एक बड़ा जन जागरण अभियान चलाया जाए। और पांचवें सुझाव के तहत ऐसे ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्वास्थ्य सेवा को सुदृढ़ बनाया जाए। उन्होंने पद्मश्री छुटनी महतो को उनके अभियान के लिए एक चार पहिया गाड़ी और ₹5000 मासिक सहयोग दिए जाने की अपील सरकार से की है।
मौके पर मौजूद छुटनी महतो ने कहा कि उनका एक ही सपना है कि वर्ष 2030 तक समूचा समाज डायन कुप्रथा जैसे कलंक से मुक्त हो जाए।
मौके पर आदिवासी सेंगेल अभियान के सुमित्रा मुर्मू, सुगनाथ हेंब्रोम, फागू मुर्मू, पोदाम टूडू, श्रीमती हेंब्रोम, लखन बांदिया एवं कारुणा महतो मुख्य रूप से उपस्थित रहे।