वेरी पॉजिटिव: बदल रहा समाज, बदल रहा देश…
बच्चों के नामकरण उसके अवसर पर भी परंपरा निभाते हुए समाज ने हंडिया जैसे नशीले पदार्थ का सेवन के स्थान पर निर्मल जल का किया उपयोग एवं सेवन….
सरायकेला: संजय मिश्रा। सरायकेला-खरसावां जिला के सरायकेला प्रखंड अंतर्गत छोटा दावना पंचायत डोबोड़ीह गांव के माझी किसुन मार्डी के नेतृत्व में हांडिया की जगह निर्मल जल से छोटा दाखिन हेम्ब्रोम एंव श्रीमती हेम्ब्रोम के बच्चों का नामकरण किया गया। ज्ञात हो कि छोटा दाखिन हेम्ब्रोम एक शिक्षक है और शिक्षण कार्य करते हुए श्री हेम्ब्रोम पति-पत्नी पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के सान्निध्य में रहकर संताल समाज के रुढ़िवादी परम्परा रीति-रिवाज को त्यागकर प्रगतिशील सोच के साथ संताल समाज को विकास के मार्ग पर बढ़ाने के लिए गांव के माझी के समक्ष हांड़ीया की जगह निर्मल जल का व्यवहार कर बच्चों का नामांकरण करने का प्रस्ताव रखा तो गांव के ग्रामीण सहित माझी ने इस बात को सहर्ष स्वीकार किया।
साथ ही गांव के माझी ने यह निर्णय लिया कि अब गांव में सामाजिक, रस्में रिवाज जैसे शादीब्याह, श्राद्ध छाटियारी, जीवन-मरणा की रस्मों में हांडिया की जगह निर्मल जल का प्रयोग कर सभी शुभ कार्य करेंगे। इसके लिए डोबोड़ीह माझी सहित ग्रामीणों को साधुवाद दिया गया। बताया गया कि हांडीया को शुभ माने जाने की सदियों पुरानी रुढ़िवादी प्रथा प्रचलित है। यह चावल से बना एक प्रकार का नशीली पेय है।हांडिया पूजने के उपरांत हरेक संथाली घरों में प्रसाद के रुप में लोग इसे ग्रहण करते है।
नशीली पेय होने के बाबजूद संताल समाज के पढ़े लिखे शिक्षित वर्ग आईएएस, आईपीएस अधिकारी, डॉक्टर, इन्जीनियर, प्रोफेसर, वकील, संताली लेखक, पत्रकारों ने इसके विरोध के बजाय हांडिया को ही प्रमुखता माना। चूंकि बड़े बुजुर्गो ने इसे पूजनीय माना तो संथाली बच्चे भी अनुसरण करते गये। इसके प्रचलन से समाज में आहिस्ते-आहिस्ते नयी पिढ़ी के नौजवान नशापान के आदि होते चले जा रहे हैं और जिससे असमय मौत होती रही है। घरेलू प्रचलन से बाहर आकर हांडिया को सामाजिक मान्यता मिली अर्थात नशापान की प्राथमिक शिक्षा घर से शुरू होकर श्मशान घाट में खत्म हो जाती है।लेकिन आदिवासी सेंगेल अभियान ने जब से हांडिया को सामाजिक मान्यता के प्रचलन से हटाने की मुहिम शुरू की तब से समाज के पढ़े लिखे शिक्षित वर्गों को नागवार लगी। और हांडिया को सामाजिक रस्मों से हटाने का विरोध करना शुरू किया।
एक बहस छिड़ी हुई है। लेकिन अब संथाल समाज की रस्म रिवाज में हांडिया की जगह निर्मल जल का प्रयोग हो रहा है। इसी कड़ी का एक हिस्सा सपरिवार छोटा दाखिन हेम्ब्रोम भी है। बच्चों का नामकरण क्रमश: ठाकुर हेम्ब्रोम पुत्र, कारमी हेम्ब्रोम सुपुत्री, गौरा हेम्ब्रोम सुपुत्री एंव बुलाय दाखिन हेम्ब्रोम रखा गया। आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अगुवा पूर्व सांसद सालखन मुर्मू के साथ तार्किक लोगों की फौज के आगे रुढ़िवादी प्रथा को प्रचलित रखने वालों को अब पैर पीछे करना पड़ रहा है।
इसी का प्रतिफल है अब भारत के सात प्रदेशों झारखंड, बंगाल, ओड़िशा, असम, बिहार, त्रिपूरा, अरुणाचल प्रदेश में हांडिया की जगह निर्मल जल से सामाजिक रस्मों का निर्वाह किया जा रहा है। अन्ततः सच्चाई की जीत एकदिन जरुर होकर रहेगी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कारु मार्डी, लखन मार्डी, छोटा किसुन मार्डी, रामो मार्डी, प्रेमशीला मुर्मू अध्यक्ष कोल्हान सेंगेल महिला मोर्चा, शंखो टुडू, खेला मुर्मू अध्यक्षTEA, मानकी पूर्ति, सोनाराम सोरेन सेंगेल दिशोम परगाना आदि उपस्थित रहे।