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खाना बनाने को लेकर हुए विवाद के बाद विवाहिता ने फांसी लगाकर कर ली आत्महत्या

सरायकेला। सरायकेला खरसावां जिले में इन दिनों आत्महत्या करने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में भी आत्महत्या करने के मामले सामने आने लगे हैं। इसे लेकर बीते 22 दिनों में जिले में कुल 5 आत्महत्या करने के मामले सामने आ चुके हैं। मामूली से खाना बनाने को लेकर हुए विवाद के बाद विवाहिता द्वारा आत्महत्या करने का एक मामला सामने आया है। जिसमें सरायकेला प्रखंड अंतर्गत केंदुआ गांव में बीते मंगलवार की रात 42 वर्षीय विवाहिता माधुरी महतो ने अपने घर में धरना के सहारे बकरी बांधने वाली प्लास्टिक की रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

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ध्यान देने वाली बात है कि घर के एक ही कमरे में एक साथ सोए मृतका के पति धनपति महतो और उनके 12 साल के बेटे और 3 साल की बेटी को घटना का जरा भी अहसास तक नहीं हुआ। सुबह के 6:00 बजे उठकर देखने पर धनपति ने अपनी पत्नी माधुरी को फांसी के फंदे के सहारे लटकते हुए पाया। घटना के संबंध में मृतका के पति धनपति ने बताया है कि वह आम दिनों की तरह खेती मजदूरी का काम कर घर वापस लौटा। और पत्नी माधुरी को बाहर से घूम कर आने की बात कहा। तभी हल्की बहस के बाद पत्नी ने घर का खाना खुद बना लेने की बात कही। जिसके बाद धनपति द्वारा अपने बेटा बेटी के साथ मिलकर घर का खाना बनाया गया। परंतु माधुरी द्वारा उसका बनाया खाना खाने से भी इंकार कर दिया गया। जिसके बाद सभी एक ही कमरे में रात के तकरीबन 10:00 बजे तक सो गए थे। सुबह 6:00 बजे उठकर देखने पर धनपति को उक्त नजारा देखने को मिला। मामले की सूचना मिलते ही सीनी ओपी पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सरायकेला भेज दिया।

गांव में भी बढ़ रहा डिप्रेशन :-

शहरी क्षेत्रों में आत्महत्या के मामले लगभग आम बने हुए थे। परंतु बीते कुछ समय से ग्रामीण क्षेत्रों में भी आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। जिसमें मुख्य रूप से घरों में कलह, डिप्रेशन और रोजी रोजगार की स्थिति को कारण माना जा रहा है। बुजुर्ग जन बताते हैं कि एक दशक पहले तक ग्रामीण क्षेत्र में आत्महत्या के मामले लगभग नहीं के बराबर थे। और कभी एक आध मामले में जहर से आत्महत्या की घटना को अंजाम देने के मामले सामने आते रहे हैं। परंतु फांसी के फंदे से झूल कर आत्महत्या के मामले ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग शुन्य ही रहे हैं। इस तरह के परिस्थिति का विकास को किसी भी हालत में अच्छा नहीं कहा जा सकता है। साधारण और सादा जीवन व्यतीत करने वाला ग्रामीण परिवेश में आत्महत्या जैसे मामले शुभ संकेत नहीं माने जा सकते हैं।

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