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डोंगा भांसा कर लोग नदियों में छोड़ेंगे केले की काष्ठ से बनी नांव……

सरायकेला। कार्तिक पूर्णिमा रास पूर्णिमा के अवसर पर सरायकेला सहित आसपास के क्षेत्रों में पंचक स्नान एवं पूजा पाठ का दौर जारी है। जिसे लेकर पूरा क्षेत्र भक्तिमय बना हुआ है। इसे लेकर शुक्रवार को श्रद्धा भाव और परंपरागत तरीके से कार्तिक पूर्णिमा एवं रास पूर्णिमा मनाए जाने की तैयारी की जा रही है। जिसमें उत्कलीय परंपरा के अनुसार शुक्रवार को बोईतो बंदाणो परंपरा का पालन किया जाएगा। इसे लेकर क्षेत्र में जोरों से तैयारी की जा रही है।

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क्या है बोईतो बंदाणो परंपरा:- कार्तिक पूर्णिमा रास पूर्णिमा के अवसर पर मनाए जाने वाले उक्त संस्कार बोईतो बंदाणो को प्रचलित भाषा में डोंगा भांसा कहा जाता है। जिसे लेकर उड़िया संस्कारों के लोग केले के लकड़ी की नांव तैयार करते हैं। और अपने इष्ट की आराधना करते हुए नाव को नदियां एवं दरिया में दीपदान के साथ बहाते हैं।

प्राचीन कालीन व्यापार से जुड़ी है परंपरा:- जानकार बताते हैं कि प्राचीन समय में उत्कल क्षेत्र से व्यापारी व्यापार करने के लिए सामग्री लेकर समुद्र पार कर जहाजों से यूरोप और एशिया के दूर देशों में जाया करते थे। और उनके परिजन उनके सकुशल घर वापसी के लिए ईष्ट एवं ईश्वर से प्रार्थना किया करते थे। इसी मान्यता के साथ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अति शुभ माने जाने वाली केले की लकड़ी से बनी नावों को दीपदान करते हुए इष्ट का ध्यान कर नदियों में बहाया जाता है। मान्यता रही है कि कार्तिक पूर्णिमा रास पूर्णिमा के अवसर पर बोईतो बंदाणो संस्कार के पालन किए जाने से घरों में सालों भर संपन्नता और कुशलता बनी रहती है।

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