भागवत एक कल्पवृक्ष की तरह है, सुधीर कुमार जेना
सरायकेला। जगन्नाथ सेवा समिति सरायकेला द्वारा कार्तिक पूर्णिमा (पंचक) के अवसर पर जगन्नाथ श्री मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन पुरी ओडिशा से पधारे कथावाचक सुधीर कुमार जेना एवं विक्रम केशरी सुबुद्धी मंडली द्वारा श्रीमद्भागवत कथा और स्थानीय कलाकार जयराज दास एवं अन्य कलाकारों द्वारा भजन कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कथावाचक सुधीर कुमार जेना ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत एक कल्पवृक्ष की तरह है, भगवान कृष्ण कलियुग में जब अपनी लीलाएंं समाप्त कर रहे थे तो उन्होंने अपने आप को भागवत में स्थापित किया। और जो भी जिस इच्छा को लेकर भागवत सुनेगा, उसकी वो इच्छा पूरी होगी।
अगर कोई किसी भी इच्छा को न लेकर भागवतकथा सुनेगा, तो इस स्थिति में उस व्यक्ति के जीवन का जो सबसे बड़ा ध्येय है, जो ज्ञानियों के लिए मोक्ष, भक्तों के लिए ईश्वर प्राप्ति, उसका वो लक्ष्य भागवत पुराण पूर्ण कराती है। उन्होंने कहा कि कथा को व्यक्तिगत, सामाजिक, और राष्ट्रीय प्रभाव पैदा करने का जरिया मानते हैं, वे कहते हैं कि “इससे एक तो प्रभु मे विश्वास में प्रकट होता है, उसके चलते आदमी तनाव से मुक्त हो सकता है।आजकल जिस स्पर्धा वाले युग इंसान में जी रहा है, उसके चलते कोई न कोई तनाव हमेशा रहता है, उसमें भी विफलताएं जब मिलती है, तो वो निराश होता है, वह निराशा हताशा में परिवर्तित होती है और वो हताशा आगे चलकर अवसाद में भी ले जा सकती है। मानसिक रोगों की संख्या भारत में बढ़ रही है, कथाएं उस स्थिति में जाने से बहुत बड़ा संबल बनकर हमें रोक सकती है। प्रभु में विश्वास और प्रभु में प्रेम के चलते ये भावना दृण होते ही परस्पर प्रेम और सद्भाव का वातावरण निर्माण होता है, और इस वातावरण के चलते एक दूसरे को छलने की कोशिश नहीं करेगा, इस तरह से कथाएं बहुत कुछ देती है, इसका केवल आध्यात्मिक ही नहीं, इसका व्यावहारिक पक्ष भी है और इसका सामाजिक पक्ष है और कथा सुनकर इंसान राष्ट्र की उन्नति में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। आज जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में श्रीमद्भागवत कथा सुनने काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। कथाव्यास सुधीर कुमार जेना के श्रीमुख से भागवत कथा सुन श्रद्धालु धन्य हो रहे थे।श्रीमद्भागवत कथा के उपरांत श्रद्धालुओं के बीच समिति द्वारा प्रसाद वितरित किया गया। आज का श्रीमद्भागवत कथा कार्यक्रम कि सुचारू रूप संचालन के लिए श्री जगन्नाथ सेवा समिति, सरायकेला के पुजारी ब्रह्मानंद महापात्र,घासीराम सतपथी,जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव, उपाध्यक्ष सुदीप पट्टनायक, सह सचिव परशुराम कवि,कोषाध्यक्ष राजीव लोचन सह कोषाध्यक्ष चिरंजीवी महापात्र मार्गदशक मंडली के बादल दुबे, रमानाथ आचार्य,चन्द्रशेखर कर,पार्थो सारथी आचार्य, बद्रीनारायण दोरोगा,राजेश मिश्रा,रूपेश मिश्रा,जयराज दास,गणेश सतपथी, देवी प्रसन्न सारंगी, तुषार पति,सुमित महापात्र,राजा ज्योतिषी, तुषार दुबे,महांन्ती सहित अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित र