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विद्यालय संचालन अवधि में किए गए परिवर्तन को अतार्किक बताते हुए

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रदेश कमेटी ने जताई आपत्ति, शिक्षा सचिव को लिखा पत्र।

सरायकेला। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग झारखंड सरकार द्वारा बीते दिनों विद्यालय संचालन अवधि में किए गए नए परिवर्तन का विरोध करते हुए अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रदेश कमेटी ने इसे अनापेक्षित एवं अतार्किक बताते हुए आपत्ति जताई है। इस संबंध में संघ के प्रदेश महासचिव राम मूर्ति ठाकुर द्वारा शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर दिए गए आदेश को शिथिल करने की मांग की गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक दत्ता ने बताया है कि जारी की गई अधिसूचना में राज्य के शिक्षक प्रतिनिधियों के साथ हुए विचार-विमर्श के आलोक में विद्यालय के समय परिवर्तन का संशोधन किए जाने की बात कहीं गई है। जबकि इस संबंध में कभी भी किसी भी स्तर पर शिक्षक प्रतिनिधियों से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है।

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जबकि अनापेक्षित और अतार्किक से किया गया समय वृद्धि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के निर्धारित दिवस और समय सीमा से अधिक है। इसके तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में कुल वार्षिक कार्य दिवस क्रमशः 200 और 220 दिनों का है। जबकि अधिसूचना के अनुसार दोनों प्रकार के कक्षाओं के लिए वार्षिक कार्य दिवस 253 दिन की गई है। इसी प्रकार अधिनियम के तहत वार्षिक शैक्षणिक घंटे प्राथमिक कक्षाओं के लिए 800 घंटे और उच्च कक्षाओं के लिए 1000 घंटे निर्धारित हैं। जबकि जारी की गई अधिसूचना के अनुसार उक्त दोनों प्रकार की कक्षाओं के लिए 1321 घंटे निर्धारित किए गए हैं। केंद्रीय विद्यालयों के अवकाश और शिक्षण अवधि का हवाला देते हुए बताया गया है कि दिवाकालीन समय अवधि में मध्यान भोजन के लिए अपराहन 2:30 बजे का समय निर्धारित किया जाना बच्चों के लिए अनुकूल नहीं है। शिक्षण अवधि के बाद शिक्षकों के लिए 1 घंटे की अतिरिक्त समय बढ़ोतरी और चित्र से परे हैं। वार्षिक अवकाश तालिका में ग्रीष्मावकाश का कम किया जाना उचित नहीं है। उर्दू विद्यालयों के शुक्रवार अवकाश को नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं है। गुरु गोष्ठी के दिवस को शिक्षण कार्य से अलग दर्शना सरासर गलत है। क्योंकि उस दिवस सिर्फ प्रधानाध्यापक गुरु गोष्ठी में भाग लेते हैं।

इसके अलावा वर्तमान में प्रतिदिन व्हाट्सएप और अन्य माध्यमों से विभागीय संवाद कायम रहने के कारण गुरु गोष्ठी के आयोजन को ही बंद किए जाने का सुझाव संघ द्वारा दिया गया है। साथ ही शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में प्रतिनियुक्ति पर गंभीरता पूर्वक रोक लगाए जाने की मांग की गई है। कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों सहित वैसे सभी सरकारी विद्यालय जहां शिक्षकों की सेवा अन्यत्र नहीं ली जाती है, वे अपने उत्कृष्ट परिणाम से पहचाने जाते हैं। विद्यालय समयावधि में संशोधन के लिए जारी किए गए अधिसूचना को पूरी तरह से क्षांत करने की मांग की गई है। यदि ऐसा मान्य नहीं हो तो केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर विद्यालय की संचालन अवधि, प्रत्येक माह के दूसरे शनिवार को अवकाश एवं वार्षिक आकाश दिवसों की संख्या 60 से बढ़ाकर 87 दिनों तक निर्धारित किए जाने की मांग की गई है। मांग किया गया है कि अतथ्यात्मक, अतार्किक एवं शिक्षक प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किए बिना जारी किए गए अधिसूचना को पुनर्विचारित कर क्षांत किया जाए।

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