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नेत्र उत्सव पर जगन्नाथ भक्तों ने किए महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नयनाभिराम दर्शन; उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने श्री मंदिर पहुंचकर किये महाप्रभु के नवयौवन दर्शन; मत्था टेक जिले के सुख शांति एवं समृद्धि की मंगल कामना की; सामान्य भक्तों के साथ पंगत में बैठकर किये प्रसाद सेवन।

जय जगन्नाथ, जय जय जगन्नाथ…. के जयकारे के साथ नंदीघोष रथ पर सवार होकर अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के संग महाप्रभु चले मौसी बाड़ी की ओर; राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने की छैंरा-पौंरा।

सरायकेलार : संजय मिश्रा। जगन्नाथ धाम पुरी की तर्ज पर सरायकेला में आयोजित होने वाले परंपरागत रथ यात्रा का रविवार को आगाज किया गया। इसके तहत रविवार की शाम महाप्रभु श्री जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई अग्रज बलभद्र के साथ श्री मंदिर से मौसी बाड़ी के लिए प्रस्थान किए। इससे पूर्व श्री मंदिर में पंडित ब्रह्मानंद महापात्र की देखरेख में महाप्रभु के विशेष और भव्य पूजा अर्चना का कार्यक्रम किया गया।

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जिसके बाद भक्तों के गोद में सवार महाप्रभु श्री जगन्नाथ सहित बहन सुभद्रा और अग्रज बलभद्र के विग्रह को परंपरागत तरीके से पैदल चलते हुए हनुमान चौक पर खड़ी रथ के समीप लाया गया। इस दौरान परंपरा अनुसार सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाप्रभु के आगे चलते हुए छैंरा पौंरा की। जिसके तहत महाप्रभु के विग्रह के आगे चलते हुए राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाप्रभु के मार्ग में कुश मिश्रित जल का छिड़काव करते हुए कुश के झाड़ू से मार्ग को बुहारते हुए चले। जिसे जगन्नाथ संस्कृति परंपरा में छैंरा-पौंरा करना कहा जाता है।

रथ के समीप पहुंचने के पश्चात तीनों विग्रहों को रथ के समीप रखते हुए बतौर यजमान सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाप्रभु के मौसी बाड़ी प्रस्थान की पूजा अर्चना की। जिसके बाद महाप्रभु श्री जगन्नाथ सहित बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के विग्रह को मंत्रोच्चार के बीच भक्तों द्वारा नंदीघोष रथ पर सवार कराया गया। और जय जगन्नाथ, जय जय जगन्नाथ के जयकारे के साथ मौसी बाड़ी के लिए रथ यात्रा प्रारंभ की गई। तकरीबन 250 मीटर की दूरी रथ यात्रा कर तय करने के साथ रथ को गोपबंधु चौक लाकर रात्रि विश्राम के लिए प्रतिस्थापित किया गया। जहां पूजा अर्चना के पश्चात प्रथम दिन के मौसी बाड़ी यात्रा कार्यक्रम को संपन्न कराया गया।

नेत्र उत्सव पर उपायुक्त सहित भक्तों ने की महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नयनाभिराम दर्शन:-


पंचांगीय दशा के अनुसार इस वर्ष एक ही तिथि को नेत्र उत्सव और रथ यात्रा होने के कारण रविवार की प्रातः महाप्रभु श्री जगन्नाथ के 15 दिनों के ज्वर से पीड़ित होने के बाद ठीक होने के पश्चात अन्नसर गृह से लाया गया। जहां पवित्र जल से महाप्रभु का विशेष स्नान कराने के पश्चात उन्हें और बहन सुभद्रा एवं बड़े भाई बलभद्र को नए वस्त्रों के साथ श्री मंदिर स्थित सिंहासन पर आसीन कराया गया। जिसके बाद नया मुकुट पहनाते हुए उनका अभिषेक किया गया। मौके पर पुजारियों के दल द्वारा भजन एवं प्रार्थना करते हुए पूजा अर्चना कर महाप्रभु को विशेष भोग प्रसाद खीर खिचड़ी का चढ़ावा चढ़ाया गया। इस मौके पर उपस्थित जगन्नाथ भक्तों द्वारा महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नयनाभिराम स्वरूप का दर्शन करते हुए पूजा अर्चना कर भोग प्रसाद चढ़ाया गया। मौके पर भक्तों ने अपने परिवार के सुख शांति एवं समृद्धि की मंगल प्रार्थना की।
इस अवसर पर उपायुक्त रविशंकर शुक्ला एवं सरायकेला अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार प्रजापति श्री मंदिर पहुंचकर महाप्रभु श्री जगन्नाथ के नवयौवन स्वरूप का दर्शन करते हुए मत्था टेके। एवं क्षेत्र के सुख शांति एवं समृद्धि के लिए मंगल प्रार्थना की। इस अवसर पर उन्होंने सामान्य भक्तों के साथ पंगत में बैठकर प्रसाद का सेवन किया।

सरायकेला राजा ने की छैंरा पौंरा:-


परंपरा अनुसार महाप्रभु श्री जगन्नाथ सहित बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के विग्रह को कंधे पर उठाकर पुजारियों एवं जगन्नाथ भक्तों के द्वारा श्री मंदिर से तैयार रथ तक के लिए प्रस्थान किया गया। इस दौरान परंपरा अनुसार सरायकेला राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव ने महाप्रभु के आगे चलते हुए कुश मिश्रित जल मार्ग में छिड़काव करते हुए कुश के झाड़ू से मार्ग को बुहारा। इसे छैंरा पौंरा परंपरा कहा जाता है।

 

जगन्नाथ सेवा समिति ने निभाई आयोजन की सक्रिय भूमिका:-

रथ यात्रा शुभारंभ के अवसर पर जगन्नाथ सेवा समिति की देखरेख में सभी कार्यक्रम संपन्न कराए गए। जिसमें समिति के अध्यक्ष राजा सिंहदेव सहित सुदीप पटनायक पार्थसारथी दास, चिरंजीवी महापात्र, परशुराम कवि, राजीव महापात्र, बादल दुबे, सुशांत महापात्र, दुखु राम साहू, राजेश मिश्रा, भोला महंती, दाशरथी परीक्षा, गणेश सतपति, रवि सतपति एवं सुमित महापात्र सहित अन्य जगन्नाथ भक्तों ने भी सराहनीय भूमिका निभाई।

सीनी में भी हुई परंपरागत पूजा अर्चना:-

सीनी में भी रथ यात्रा के कार्यक्रम किए गए। वही इस अवसर पर परंपरा अनुसार मौसी बाड़ी यात्रा का शुभारंभ करते हुए विधि विधान के साथ महाप्रभु की पूजा अर्चना की गई। इसके साथ ही जगन्नाथ भक्तों ने रथ यात्रा के अवसर पर महाप्रभु की विशेष पूजा अर्चना करते हुए सुख शांति और समृद्धि की मंगल प्रार्थना की।

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