जमशेदपुरःबागबेडा़ थानांतर्गत घाघीडीह जेल के पीछे हिल व्यू काॅलोनी निवासी महेंद्रपाल शर्मा की मौत अपने पीछे कई राज छोड़ गई है.
शर्मा ने कल रात 10.00 बजे से पहले ही सभी जानकारों के व्हाट्सप नंबरों पर “by by from my life” का मैसेज भेज दिया था.इस मैसेज के बाद सभी उनके नंबर 8709568164 पर फोन करने लगे.उनका छोटा बेटा आकाश शर्मा लगातार दरवाजा खटखटाता रहा लेकिन वे नहीं माने और कमरे में ही बंद रहे.
अनहोनी की आशंका से आकाश ने बागबेडा़ थाना और आस-पडो़स को सूचित किया लेकिन कोरोना का भय ऐसा कि कोई मदद को नहीं आया.थक हार कर बेटा भी गुस्से से रात में अपने कमरे में जाकर सो गया.
सुबह जब आकाश ने देखा कि कमरे की बत्ती जली है तो लगा पिताजी बाथरूम जाएंगे ही लेकिन फिर भी दरवाजा नहीं खुला.कुछ देर बाद जब कोई हलचल न हुई तो आकाश ने रौशनदान से देखा कि पिताजी टेबल पर सर रख सो रहें हैं.
आकाश को लगा कि पिताजी शायद रात भर जाग रहें होंगे इसलिए दोबारा सो गये.आकाश ने कुछ देर बाद फिर पिताजी को उठाने का प्रयास किया और दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई हलचल न हुई.थक हार कर उसने थाने को और 100 नंबर पर सूचना दी.पीसीआर गाडी़ ने आकर दरवाजा तोडा़ तो पाया कि एमपी शर्मा का शरीर नीला पड़ गया है.
ओडी पदाधिकारी ने इसकी सूचना बागबेडा़ थाने को दी और पुलिस पहुँची.फिलहाल मामले की जाँच जारी है लेकिन मौत ने कुछ सवाल छोड़ दिए हैं जिसका जवाब जरूरी है.
850 बार हुआ था डायलिसीस
पेशे से जुस्को के ठेकेदार रहे लगभग 50 वर्षीय एमपी शर्मा मधुमेह की बीमारी से खासे परेशान थे.850 बार हुए डायलिसीस ने उन्हें अंदर से खोखला और तनावग्रस्त कर दिया था.शर्मा तो ठीक से खडे़ भी नहीं हो पाते थे और अक्सर दर्द से कराहते रहते थे.
डीआईजी से लेकर थानों के काटे चक्कर
शर्मा से अलग रह रहे सोनारी निवासी नालायक बडे़ बेटे योगेश शर्मा और पत्नि वर्षा शर्मा के कारण थानों के चक्कर ने बची आस पर भी पूरी तरह से पानी फेर दिया था.जिस उम्र के पडा़व और किडनी की गंभीर बीमारी की अवस्था में शर्मा को पैसा,मदद व प्यार की जरूरत थी उस उम्र में वो आर्थिक तंगी से तनावग्रस्त होकर डीआईजी से लेकर थानों तक के चक्कर काटते रहे.कभी बेटे ने तो कभी पत्नि ने शर्मा पर मुकदमा दर्ज किया जिससे शर्मा कभी डीआईजी तो कभी एसपी तो कभी सोनारी थाने तो कभी बागबेडा़ थाने और कभी ट्वीटर पर फरियाद लगाते रहे.शर्मा का आरोप था कि बडे़ बेटे योगेश ने उनका नकदी,गहना,जेवर समेत अन्य संपत्ति हड़प कर उनकी पत्नि को भी पिता के खिलाफ गुमराह कर दिया है और अब ईलाज के लिए पैसे नहीं हैं.
पुलिस,परिवार और रिश्तेदार क्यों रहे खामोश?
कल रात जब पुलिस,परिवार और रिश्तेदार तक मोबाईल पर अनहोनी की संभावना का मैसेज चला गया था तो फिर किस बात की खामोशी थी?
अगर बागबेडा़ पुलिस रात में ही आ जाती या छोटा बेटा आकाश दरवाजा तोड़ देता तो शायद सही समय पर मदद मिल सकती थी?
सोनारी और बागबेडा़ थाने ने समय रहते मध्यस्थता कराई होती तो शायद यह नौबत ही न आती?
ये कुछ ऐसे अहम सवाल हैं जो एक पिता का दर्द बयान करने,उसकी आत्महत्या के राज से पर्दा हटाने और एक पिता के साथ न्याय के लिए जरुरी हैं फिलहाल एमपी शर्मा के छोटे बेटे आकाश ने बडे़ भाई योगेश और भाभी पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए बागबेडा़ थाने में शिकायत दी है.पुलिस मामले की जाँच में जुट गई है.