सरायकेला (संजय मिश्रा ) सरायकेला सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी सरायकेला में शुक्रवार को लगने वाले साप्ताहिक हाट का इतना अधिक क्रेज है कि लोग अपनी और अपने अपनों की जान की परवाह भी नहीं कर रहे हैं। एक ओर देश सहित जिले भर में कोरोना का कहर अपने चरम पर है। वही दूसरी ओर कोरोना को अपना खेला कराने में लोगों की लापरवाही भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
साप्ताहिक हाट को लेकर शुक्रवार को दिन भर चले भागने भगाने के ड्रामे के बीच ऐसा लगा कि कोरोना जंग जीत गया। शुक्रवार को सरायकेला में लगने वाले सप्ताहिक हाट को बंद कराने को लेकर प्रशासन पहले से ही मुस्तैद दिखा। बावजूद इसके प्रातः 8:00 बजे तक स्थानीय ग्रामीणों के सब्जियों की दुकानों के साथ-साथ जमशेदपुर सहित अन्य क्षेत्रों से पहुंचे कपड़े, जूता चप्पल, चूड़ियों और कॉस्मेटिक की दुकानें भी सजने लगी। जिसकी सूचना के साथ ही सरायकेला अंचलाधिकारी सुरेश कुमार सिन्हा एवं सरायकेला नगर पंचायत के नगर प्रबंधक सुमित सुमन पुलिस बल के साथ साप्ताहिक हाट परिसर पहुंचे। और सब्जियों सहित लगे सभी दुकानों को साप्ताहिक हाट परिसर से खदेड़ते हुए हटाया।
इसके साथ ही साप्ताहिक हाट परिसर पूरी तरह से प्रशासन द्वारा खाली करा दी गई। मौके पर सरायकेला अंचलाधिकारी ने कहा कि शनिवार से सरायकेला की डेली मार्केट अब सप्ताहिक हाट परिसर में लगेगी। जिसमें बाजार में लग रहे सभी सब्जियों एवं फल की दुकानों सहित मांस मछली की दुकानों को भी साप्ताहिक हाट परिसर में शिफ्ट किया जाएगा। जो राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार प्रतिदिन संचालित की जाएगी। साप्ताहिक हाट अगले आदेश तक के लिए नहीं लगाया जाएगा। किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर एफआईआर दर्ज करते हुए संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।
पूरे तामझाम के साथ साप्ताहिक हाट परिसर पहुंचे प्रशासन के रवाना होते ही सप्ताहिक हाट पहुंचे व्यापारी और ग्रामीण दुकानदारों ने साप्ताहिक हाट से महज 100 मीटर की दूरी पर पांड्रा गांव जाने वाली सड़क मार्ग के दोनों किनारों पर अपनी दुकानें सजा दी। कुछ निजी वाहनों में तो कुछ सड़क किनारे लगा दी गई। जिसके बाद खरीददारों का भी रैला लगे बाजार में ऐसा उमड़ा की कोरोना संक्रमण को जानने वाले की रूह तक कांप जाए। लोग बेपरवाह होकर कुछ मास्क पहने और कुछ मास्क के बिना ही खरीददारी करते हुए देखे गए। यह दौर तकरीबन देर दोपहर तक जारी रहा। जिसे नियंत्रित करने वाले भी दोबारा उसके आसपास नहीं दिखे।
सड़क किनारे लगे साप्ताहिक हाट में उमड़े भीड़ को देखकर सड़क मार्ग से गुजरते हुए जानकारों ने कयास लगाया कि अपना नहीं तो कम से कम अपनों के जीवन का ख्याल होना चाहिए।