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शहरी क्षेत्र के धक्के से गांवों को हो रहा है नुकसान; जंगल के जीव भोजन और आश्रय की तलाश में पहुंच रहे हैं शहरों तक।

सरायकेला (Sanjay Mishra)– कहते हैं कि सभ्यता का विकास जीवन के लिए भोजन और आश्रय तलाशने के साथ हुआ था। कुछ ऐसा ही वाक्या जंगल के जीवन में इन दिनों देखा जा रहा है। जहां शहर के धक्के से जंगल का मूल परिवेश बदल रहा है। और उसी जंगल के मूल वाशिंदे वन्य प्राणी अपने लिए भोजन और आश्रय की तलाश में आबादी की ओर रुख कर रहे हैं। इसे आमतौर पर आए दिनों जंगली हाथियों के आक्रमण और तांडव के रूप में देखा जा रहा है। कोल्हान प्रमंडल के सबसे सुप्रसिद्ध दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में घोषित इको सेंसेटिव जोन में लगातार हो रहे अतिक्रमण और गगनचुंबी भवनों के निर्माण को लेकर भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बीते 11 जनवरी को दिशा की बैठक करते हुए रिपोर्ट मांगी थी। जिसके बाद वन विभाग द्वारा इस संबंध में जिला कार्यालय को रिपोर्ट सौंप दी गई है। जिसने चांडिल वन प्रक्षेत्र अंतर्गत इको सेंसेटिव जोन में वन भूमि और गैर वन भूमि में निर्माण कार्य और पूर्व से निर्मित कार्यों की सूची उपलब्ध कराई गई है। जिसे उक्त क्षेत्र में नहीं होना चाहिए था, ऐसा बताया जा रहा है। बावजूद इसके जिला कार्यालय को झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जमशेदपुर क्षेत्रीय पदाधिकारी और अंचलाधिकारी चांडिल के रिपोर्ट का इंतजार है। इसे लेकर अपर उपायुक्त सुबोध कुमार द्वारा उक्त दोनों विभागों से 1 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है।

इन मौजा में हुआ है अतिक्रमण:

वन भूमि पर आसनबनी चांडिल थाना नंबर 325 में खटाल एवं शहरबेड़ा चांडिल थाना नंबर 252 में महतो होटल का निर्माण बताया गया है। इसके अलावा गैर वन भूमि आसनबनी चांडिल थाना नंबर 325, रामगढ़ चांडिल थाना नंबर 326, कांदरबेड़ा चांडिल थाना नंबर 327, शहरबेड़ा चांडिल थाना नंबर 267, चिलगू चांडिल थाना नंबर 265, कारनीडीह चांडिल थाना नंबर 264 टोला भुईयाडीह, पूडिसिली चांडिल थाना नंबर 328, डोबो चांडिल थाना नंबर 331, भादुडीह चांडिल थाना नंबर 263, बड़ालाखा चांडिल थाना नंबर 255, मानीकुई चांडिल थाना नंबर 262, रुदिया चांडिल थाना नंबर 251, कटिया चांडिल थाना नंबर 259, शहरबेड़ा चांडिल थाना नंबर 252, घोड़ालिंग चांडिल थाना नंबर 205 एवं गांगुडीह चांडिल थाना नंबर 249 में 35 क्रेशर, 33 ईट भट्ठा, 18 होटल एंड रिसोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, इंस्टिट्यूट, सर्विस सेंटर, हाउसिंग अपार्टमेंट और खनन के साइट संचालित हैं।

क्या हो रही है परेशानी:-

पर्यावरणविद की माने तो आदर्श जलवायवीय दशा के लिए भूमि के 33.3% भाग पर हरियाली होली नितांत आवश्यक है। हरियाली से एक ओर जहां पर्यावरण स्वच्छ और स्वस्थ बना रहता है। वही दूसरी ओर जंगल का जीवन पशुओं से लेकर पक्षी तक स्वस्थ जीवन जीते हैं। जो मानव जीवन के साथ अन्योन्याश्रय संबंध का विकास करते हैं। लगातार हो रहे अतिक्रमण और जंगल के विनाश के कारण वन्य जीव और प्राणी अपना आश्रय और भोजन खोते जा रहे हैं। जिसका परिणाम है कि जंगली हाथी सहित अन्य वन्य जीव भी आबादी क्षेत्र की ओर भोजन एवं आश्रय की तलाश में पहुंच रहे हैं। इसके साथ ही शहरी जीवन और जंगल के जीवन के बीच एक अघोषित युद्ध छीड़ा हुआ है। अपनी सुरक्षा और अस्तित्व की रक्षा के लिए दोनों ही एक दूसरे को लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिसका परिणाम बताया जाता है है कि जिले में प्रतिवर्ष जंगली हाथियों का ग्रामीण क्षेत्रों में बेपरवाह आगमन जारी है। और इस द्वंद में मानव जीवन जान माल के साथ जंगली हाथियों की मरने की घटनाएं घटती रही है।

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