आनंद पूर्णिमा के अवसर पर धर्म महासम्मेलन का हुआ आयोजन…..
सरायकेला: आनंद पूर्णिमा के अवसर पर आनंद नगर में आनंद मार्ग द्वारा आयोजित धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को काफी संख्या में आनंद मार्गी जूटे। इस सम्मेलन में सरायकेला सीनी के आनंद मार्गी भी सपरिवार शामिल होकर सत्संग व प्रवचन का लाभ ले रहे है। दूसरे दिन श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने भक्तो के जीवन का लक्ष्य विषय पर बताते हुए कहा कि शास्त्रों में तो मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्ग बताए गए हैं ज्ञान,कर्म और भक्ति।
परंतु बाबा श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने इसे खंडन करते हुए कहा कि भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है। साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं। बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता।
भक्ति को श्रेष्ठ कहा है उन्होंने बताया की मोक्ष प्राप्ति के उपाय में भक्ति श्रेष्ठ है भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है। भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा कहते हैं की मैं भक्तों के साथ रहता हूं जहां वे मेरा गुणगान करते हैं कीर्तन करते हैं परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।