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एक माह के भीतर नहीं सुनी गई आवाज तो होगा उग्र आंदोलन; रांची तक की पदयात्रा करते हुए घेरेंगे राज्य के मुखिया का आवास भी

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सरायकेला-खरसावां (संजय कुमार मिश्रा) पूर्व प्रस्तावित कार्यक्रम के तहत पारंपरिक संयुक्त ग्राम सभा जारियाडीह द्वारा मंगलवार को चांडिल अंचल कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया गया। पारंपरिक ग्राम सभा जारियाडीह के माझी सुरेश हाँसदा के नेतृत्व में दर्जनों की संख्या में ग्रामीण इस अवसर पर पदयात्रा करते हुए चांडिल अंचल कार्यालय पहुंचे। जहां जारियाडीह गांव में गलत तरीके से प्रस्तावितक्रिस्टल मेटफॉम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को आवंटन लीज किए जाने का विरोध करते हुए और पूरी योजना को रद्द करने की मांग करते हुए ग्रामीणों द्वारा नारे बुलंद किए गए। इस अवसर पर राम हाँसदा एवं बुद्धेश्वर मार्डी सहित अन्य ग्रामीणों द्वारा भी विचार रखते हुए प्रस्तावित क्रिस्टल मेटफॉम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना का विरोध किया गया। कहा गया कि जान दे देंगे लेकिन गलत तरीके से कंपनी की स्थापना को कभी मंजूर नहीं होने देंगे।

मौके पर मांझी सुरेश हाँसदा द्वारा मुख्यमंत्री के नाम चांडिल अंचलाधिकारी को मांग पत्र सौंपा गया। जिसमें बताया गया कि आदिवासी औद्योगिक विकास के बाधक नहीं है। लेकिन टू फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन का उपयोग करते हुए न्याय की याचना करते हैं। पूर्णत: अनुसूचित जिला सरायकेला खरसावां का प्रखंड सह अंचल चांडिल का ग्राम जारियाडीह में प्रस्तावित क्रिस्टल मेटफॉम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी स्थापित किया जा रहा है। जिसकी स्थापना के पूर्व कंपनी के लिए जमीन अधिग्रहण और पर्यावरण स्वीकृति के लिए ग्रामसभा जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों को किसी भी प्रकार का सूचना नहीं दिया गया है। और ना ही ग्राम सभा का आयोजन हुआ है। परंतु फर्जी ग्राम सभा का आधार बनाकर थाना संख्या 272, खाता संख्या 79 पांचवी अनुसूचित क्षेत्र भूमि का खेसरा संख्या 482, 578, 570, 567, 568, 565 एवं 538 का कुल रकबा 4.31 एकड़ भूमि उपायुक्त द्वारा कंपनी के नाम पर अवैध रूप से लीज आवंटन कर दिया गया है। जिसमें विडंबना है कि कृषि भूमि का प्रकृति को परती भूमि और बंजर भूमि में बदलकर जारियाडीह में अनुसूचित जनजातियों किसान परिवारों की नियति जमीन को क्रिस्टल कंपनी के नाम पर रजिस्ट्रीकृत स्थानांतरण के लिए सहमति दिया गया है, जो जांच का विषय है। मुख्यमंत्री के स्वयं संथाल समुदाय के सामाजिक रूडी और धार्मिक प्रथा से भली भांति परिचित होने की बात कहते हुए कहा गया है कि संथाल समुदायों में धान का बीज बुआई बोने से पूर्व एरोक बोंगा गांव में किया जाता है। जो चिन्हित भूमि पर जारियाडीह में पूर्वजों द्वारा पूर्व के समय से करते आ रहे हैं। ऐसे जमीन के अवैध रूप से कंपनी के नाम पर लीज आवंटन कर देने से समुदाय विशेष को धार्मिक प्रथा मानने में बाधा पहुंचाने के साथ-साथ धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाया है। पेसा अधिनियम 1996 का हवाला देते हुए उन्होंने बताया है कि किसी योजना या परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण और पर्यावरण स्वीकृति के लिए ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य है। इसके साथ ही छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 के प्रावधान के तहत अनुसूचित जनजातियों की भूमि किसी गैर आदिवासी को हस्तांतरित करना पूर्ण प्रतिबंधित है।

इसके साथ ही दलमा इको सेंसेटिव जोन में निहित प्रावधान के तहत दलमा वन्य जीव अभ्यारण की सीमा से 0 से 5 किलोमीटर दूरी के भीतर किसी प्रकार का प्रदूषण कारक उद्योगों की स्थापना पूरी तरह निषेध किया गया है।


पारंपरिक ग्राम सभा जारियाडीह द्वारा मांग की गई है कि प्रस्तावित कंपनी के लिए किए गए आवंटन अवैध लीज को अविलंब रद्द किया जाए। सीएनटी एक्ट 1908, पेसा एक्ट 1996, लैंड एक्विजिशन एक्ट 2013 और दलमा इको सेंसेटिव जोन में निहित प्रावधानों का उल्लंघन कर स्थापित हो रहे उप कंपनी का विस्तृत जांच करते हुए इस प्रस्तावित योजना को पूरी तरह से रद्द किया जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होने की बात कही गई है। साथ ही 1 माह के भीतर मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं होने से रांची तक की पदयात्रा करते हुए राज्य के मुखिया का घेराव करते हुए उनके समक्ष धरना प्रदर्शन की बात कही गई है।

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