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कांड्रा के अनिकेत को मिली अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा से स्कॉलरशिप

सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) कहते हैं कि आसमां में भी सुराख संभव है एक पत्थर तो तबीयत से उछाल कर देखो यारो। होनहार बिरवान के होत चिकने पात की कहावत को कांड्रा के रहने वाले अनिकेत आनंद ने कुछ इसी तरह चरितार्थ करके दिखाया है।

कांड्रा जैसे छोटे से कस्बे से निकलकर अनिकेत आनंद ने अमेरिका के सॉल्टलेक सिटी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा तक का सफर तय किया है। अनिकेत यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा में उद्यमिता और इंटरनेशनल बिजनेस में आगे की पढ़ाई करेगा, यूनिवर्सिटी की ओर से उसे स्कॉलरशिप दी गई है। शनिवार को कोलकाता स्थित अमेरिकन एंबेसी में अनिकेत का साक्षात्कार हुआ, जहां उसे अमेरिका जाने की हरी झंडी मिल गई है। बताया जाता है कि उद्यमिता और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में शिक्षा के क्षेत्र में यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा विश्व के टॉप टेन विश्वविद्यालयों में शुमार है। जिले के कांड्रा निवासी मिथिलेश यादव और अंजू यादव के छोटे पुत्र 18 वर्षीय अनिकेत आनंद ने दसवीं सेंट्रल पब्लिक स्कूल आदित्यपुर और बारहवीं की परीक्षा कषिगा इंटरनेशनल बोर्डिंग स्कूल देहरादून से पास की है। अनिकेत को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली एसएटी तथा आईईएलटीएस की परीक्षा में अच्छे अंक लाने के बाद अमेरिका के कोलंबिया सिटी स्थित साउथ कैरोलिना यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई के लिए ऑफर आ रहा है। अनिकेत ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा वीरेंद्र यादव एवं पूरे परिवार के अलावा स्कूल के शिक्षक शिक्षिकाओं को भी दिया। शनिवार को साक्षात्कार के बाद आए परिणाम से पूरे परिवार की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। अनिकेत की सफलता के पीछे पूरे परिवार ने अपनी सभी सामर्थ्य से बढ़कर किया। अपनी कई जरूरतों को सीमित कर अनेकों ख्वाहिशें भी कुर्बान भी की। पूरे परिवार ने मिलकर अनिकेत के सपनों को पंख लगाए, जिससे आज वह ऊंची उड़ान के लिए तैयार हुआ।

मूल रूप से बिहार के आरा जिले के बड़हरा प्रखंड के फरादा नामक एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका जाने वाले अनिकेत ने पढ़ाई के बाद वापस वतन लौट कर इंटरनेशनल बिजनेस में देश को आगे ले जाने के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा जताई है। अनिकेत की सफलता पर ना सिर्फ उसके परिवार और परिजन फूले नहीं समा रहे हैं, बल्कि पूरे कांड्रा वासियों में खुशी की लहर है। सभी ने उसे शुभकामनाएं देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है। वही अनिकेत ने भी राष्ट्र भावना और राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए अपनी पढ़ाई को पूरी लगन के साथ पूरी करने का संकल्प लेता है।

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