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सामूहिक वन अधिकार का दावा चांडिल प्रखंड में 26 गांव के लोगों ने सामूहिक वन अधिकार का दावा किया है लेकिन केवल चार गांवो का ही दावा मंजूर किया गया है। इसी तरह से नीमडीह में 29 गांव ने दावा किया है और सिर्फ 9 को अधिकार मिला है।

 

 

ईचागढ़ (रंजीत सहदेव) बुधवार को पंचायत भवन,चौका में क्षेत्र के विभिन्न ग्राम सभा के तत्वाधान में वन अधिकार समितियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक बैठक संपन्न हुई । जिसमें वन अधिकार कानून को तत्परता पूर्वक से लागू न करने पर अफसोस व्यक्त किया गया। इस संबंध में बोलते हुए वनाधिकार कार्यकर्ता बृहस्पति सिंह सरकार ने कहा कि चांडिल प्रखंड में 26 गांव के लोगों ने सामूहिक वन अधिकार का दावा किया है लेकिन केवल चार गांवो का ही दावा मंजूर किया गया है। इसी तरह से नीमडीह में 29 गांव ने दावा किया है और सिर्फ 9 को अधिकार मिला है।

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बैठक में वरीय कार्यकर्ता डोमन वास्के ने बताया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस कानून को लागू करने के लिए निजी तौर पर दिलचस्पी ले रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारियों को समुचित निर्देश भी दिया गया है। लेकिन ये पदाधिकारी अपने दायित्व से भाग रहे हैं। विभिन्न गांवों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से तय किया कि इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी, चांडिल से मिलकर कानून को लागू करने का अनुरोध किया जाएगा इस संर्दभ में एक महीने का समय दिया जायेगा।

 

वे एक महीने के अंदर या तो त्रुटि सुधार के लिए आवेदन को ग्राम सभा में भेजें या सामूहिक अधिकार सुनिश्चित करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर विभिन्न गांवों की ओर से चांडिल अनुमंडल के समक्ष वन अधिकार जवाब देही समावेश आयोजित किया जाएगा। इसकी जानकारी बैठकोपरांत डोमेन बास्के और वृहस्पति सिंह सरदार ने प्रेस रिलिज जारी कर जानकारी दी ।

बैठक में गाजूराम मांझी, भदरू सिंह मुंडा,अनिल चंद्र माझी, गणेश माझी, धनीराम मांझी, भोनूलाल हांसदा,सिमोल बेसरा,प्रेमचंद किस्कू, नंदलाल माझी,कालीपाडो माझी,रामदास मांझी तथा विस्थापित मुक्ति वाहिनी के श्यामल मार्डी ,नारायण गोप ,किरण बीर ,अरविंद अंजुम आदि शामिल थे। धन्यवाद ज्ञापन सोहराय हसदा ने किया।

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