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आदिवासियों के विभिन्न मुद्दों को लेकर आहुत कोल्हान बंद का सरायकेला में रहा खासा असर; तकरीबन 8 घंटे तक थमी रही सड़क की जिंदगानी…

सरायकेला: संजय मिश्रा: आदिवासी जमीन को हड़पने के षड़यंत्र को रोकने के लिए, तितिरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण, आदिवासियों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों के साथ हुई छेड़छाड़ के मामले व अन्य मुद्दों को लेकर विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को कोल्हान बंद बुलाया गया था। जिसको लेकर सरायकेला गैरेज चौक पूरी तरह से आदिवासी संगठन के लोगों ने जाम कर दिया। बुधवार की सुबह 6:00 से लेकर तकरीबन अपराह्न 2:00 बजे तक गैरेज चौक के समीप मुख्य सड़क मार्ग जाम रहा।

इस दौरान गैरेज चौक पर टायर जलाकर पारंपरिक हथियार से लैस होकर जामकर्ताओं द्वारा प्रशासन के विरोध में नारेबाजी की गई। जाम के कारण गैरेज चौक के दोनों ओर से वाहनों की लंबी कतार लगी रही। एक भी वाहन को पार होने नहीं दिया जा रहा था। मौके पर फोर्स की तैनाती रही। कई वाहन चालकों के साथ बंद समर्थकों की बकझक भी हुई, जो जबरन वाहन को पार कराना चाह रहे थे। बंदी के कारण सरायकेला का बाजार पूरी तरह से बंद रहा। होटल, दुकान सहित सभी को बंद रहे। बंद का नेतृत्व आदिवासी हो समाज महासभा के जिला अध्यक्ष सह पूर्व मुखिया गणेश गागराई ने किया।

मौके पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा के जिला अध्यक्ष विष्णु बानरा, मानकी मुंडा संघ के जिला अध्यक्ष कोल झारखंड बोदरा, वीर सिंह टोपनो, साधु हेंब्रोम एवं हातु मुंडा महिंद्रा हेंब्रोम मुख्य रूप से मौजूद रहे। मौके पर हातु मुंडा महेंद्र हेंब्रोम ने कहा कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का अक्षरस: अनुपालन सुनिश्चित हो, अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के पूर्व हातु मुंडा मानकी, माझी बाबा के द्वारा ग्राम सभा से पारित होने के बाद ही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ की जाए। सरना धर्मावलंबी केंद्र सरकार से सरना कोड की मांग कर रहे हैं। कोल्हान क्षेत्रों में बोली जाने वाली हो मुंडारी एवं भूमिज भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। सरकार ने महाविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों के नाम पर आदिवासियों की सैकड़ों एक़ड़ भूमि का अधिग्रहण कर ली है।

परंतु कोल्हान विश्वविद्यालय में पिछले एक वर्ष से वीसी प्रो वीसी, एफओ, रजिस्ट्रार के महत्वपूर्ण पद खाली है। जिसका प्रतिकूल प्रभाव शैक्षणिक व्यवस्था पर पड़ रहा है। महेंद्र महतो ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बने 24 वर्ष बीत गए चार आदिवासी मुख्यमंत्री एवं एक गैर आदिवासी मुख्यमत्री बने कई सरकारें आई और गई परंतु झारखंडियों की स्थिति में कोई सुधारन नहीं हुआ। कोल्हान लगभग 11548 वर्गक्षेत्र में फैला है और एशिया का सबसे बड़ा जंगल सारंडा भी यहीं अवस्थित है। लगभग कोल्हान के आधे भू भाग पर बड़े कारखाना लगाए गए हैं।

इसके साथ ही गांजिया बराज, सीतारामपुर डैम, डिमना लेक, चांडिल डेम, कुजू डेम, बुरुड़ीह डैम, स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना, ईचा खरकाई परियोजना सहित माइंस के लिए जमीन अधिग्रहण किया गया है। ऐसा ही विकास के नाम पर आगे भूमि अधिग्रहण होता रहेगा तो कोल्हान का जियोग्राफी व डेमोग्राफी ही बदल जाएगी। इस बंदी में तितिरबिला ग्राम सभा, मानकी मुंडा, संघ, आदिवासी छात्र एकता, झारखंड आन्दोलनकारी मंच, आदिवासी हो समाज महासभा, आदिवासी युवा महासभा सहित दर्जन भर आदिवासी संगठन ने बंद को सफल बनाने के लिए सड़क पर उतरे रहे।

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