प्राऊड मोमेंट: नृत्यांगना में छऊ नृत्य का जलवा बिखेरेंगी गीतांजलि; करेंगी “देवदासी” छऊ नृत्य का प्रदर्शन…
सभी बंधन और सभी सीमाओं से परे होता है कला, कला के बिना जीवन अधूरा: गीतांजलि हेंब्रोम…
सरायकेला: संजय मिश्रा
सरायकेला। कहते हैं कि कला हर जाति, धर्म, समुदाय, संप्रदाय और भेदभाव से परे होता है। जिसके बिना यदि माने तो कोई भी जीवन संपूर्ण नहीं माना जा सकता। यूनेस्को द्वारा विश्व की अनमोल धरोहर घोषित विश्व प्रसिद्ध छऊ नृत्य कला में एक ओर जहां आज तक महिलाओं का प्रवेश शून्य रहा। वही अब के समय में देखा जाए तो महिलाएं छऊ नृत्य कला के क्षेत्र में कमाल कर रही हैं। और लगातार कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। ऐसा ही एक नाम 38 वर्षीय महिला गीतांजलि हेंब्रोम का सामने आता है। जिन्होंने 11 साल की उम्र से सरायकेला छऊ नृत्य कला को अपना जीवन बना लिया। और आज विवाहित जीवन में भी पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए सरायकेला छऊ नृत्य कला के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं।
सींगीडी कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन हैदराबाद एवं डिपार्टमेंट ऑफ लैंग्वेज एंड कल्चर गवर्नमेंट ऑफ तेलंगाना के संयुक्त तत्वावधान आगामी 19 जुलाई को आयोजित होने वाले नृत्यांगना ए वूमेन्स डांस फेस्टिवल में सरायकेला छऊ नृत्य कला का जलवा बिखेरेंगी। तेलंगाना के हैदराबाद स्थित रविंद्र भारती मेन हॉल में आयोजित होने वाले उक्त कार्यक्रम में गीतांजलि हेंब्रोम सरायकेला छऊ नृत्य देवदासी का प्रदर्शन करेंगी। उक्त डांस फेस्टिवल में कनाडा की मेरी इलंगोवान भरतनाट्यम, कर्नाटका की रेमोना ईवेट्टे यक्षगान और केरला की डॉक्टर आथीरा नंदन कथकली नृत्य की प्रस्तुति करेंगी।
जाने गीतांजलि हेंब्रोम को:-
31 दिसंबर 1985 को जन्मी गीतांजलि हेंब्रोम ने अपनी दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर उच्च विद्यालय सरायकेला से और 12वीं की पढ़ाई काशी साहू कॉलेज सरायकेला से पूरी की। मात्र 11 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने राजकीय नृत्य कला केंद्र सरायकेला में गुरु तपन कुमार पटनायक और गुरु विजय कुमार साहू से सरायकेला छऊ नृत्य की शिक्षा लेना प्रारंभ की। छऊ गुरु पद्मश्री स्वर्गीय पंडित गोपाल प्रसाद दुबे के मार्ग निर्देशन में गीतांजलि ने अपने प्रोफेशनल डांस कैरियर की शुरुआत की।
गीतांजलि ने वर्ष 2020 में बेंगलुरु में दृष्टि नेशनल डांस फेस्टिवल, आईसीसीआर हैदराबाद के तत्वधान आयोजित एन इवनिंग ऑफ डांसेज, 2019 में पांचवी इंटरनेशनल साइंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया सहित चैत्र पर्व फेस्टिवल सरायकेला एवं मध्य प्रदेश, हरियाणा, उड़ीसा, कर्नाटका, नई दिल्ली, कोलकाता, त्रिवेंद्रम एवं अन्य राज्यों में भी सरायकेला छऊ नृत्य कला का प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा स्थापित कर चुकी है।