कुचाई में विश्व आदिवासी दिवस पर राज्य प्रभारी
सोहनलाल कुम्हार ने किया महापुरुषों को नमन,कहा
हर आंदोलन में समाज का महत्वपूर्ण योगदान…
खरसावॉ (उमाकांत कर) : कुचाई के बिरसा स्टेडियम में आदिवासी मंच के द्वारा पारंम्परिक ढंग से अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया गया. आदिवासी भाषा-संस्कृति की रक्षा का संक्लप लिया.वहीं अपनी-अपनी संस्कृति व परम्परा के अनुसार जिंदगी गुजारने व अधिकारों को लेकर संघर्ष करने का लिया निर्णय.मौके पर झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन के केन्द्रीय सदस्य सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि आदिवासी समाज इतिहास की रचना की है.
समाज के बिरसा मुंडा सिद्धू कानू फूलो झानो समिति के आंदोलनकारियों ने आजादी की लड़ाई लड़कर शहीद हुए हैं. झारखंड आंदोलन में भी आदिवासी समाज की भूमिका रही है और आंदोलन में अगुवाई की है. संघर्ष ही आदिवासी का जीवन दर्शन है.जन्म से मृत्यु तक संघर्ष करना हम आदिवासियों की नियत बन गई है.आइए अपने हक अधिकारों के लिए एकजूट होकर संघर्ष करे.उन्होने एकजुट होकर सामाजिक समस्याओं को दूर करने,जग-जंगल-जमीन की रक्षा करने,अपनी भाषा-संस्कृति को बचाये रखने,समाज को शिक्षा से जोड़ने, जिविकापार्जन पर ध्यान देने,सभी को साथ लेकर आगे बढ़ने तथा आदिवासी समाज के विकास पर ध्यान देने की
अपील की.वहीं विधायक प्रतिनिधि भरत सिंह मुंड़ा ने कहा कि आदिवासी हितों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिसंबर 1994 में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया और इस प्रकार 9 अगस्त 1995 को पहली बार विश्व आदिवासी दिवस मनायी गई.तब से लेकर प्रतिवर्ष इस तिथि को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि समाज के युवा पुरुषों के जीवनी का अनुसरण कर उन्हें अपना आदर्श मानकर उनके बताए मार्ग पर चलें तभी समाज का विकास होगा इस दौरान मुख्य रूप से सोहन लाल कुम्हार, विधायक प्रतिनिधि भरत सिंह मुंडा,धर्मेंद्र कुमार मुंडा,पूर्व मुखिया बर्षा रानी बाकिरा, सुखराम मुंड़ा,लखीराम मुंडा, सुनिया मुंड़ा,सुरेश सोय,डुबराय हेम्ब्रम,कारू मुंड़ा,पावर्ती गागराई,वनवारी लाल सोय,तुराम सोय,लालमुनी मुंड़ा,गोपाल कृष्ण सोय,राम चन्द्र सोय,मडवारी हेम्ब्रम आदि उपस्थित थे.