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आज मध्य रात्रि होगा महामेरू बलिदान, रविवार को राज परिवार के सदस्य करेंगे मां पाउड़ी दर्शन, मनेगा नुआखिआ…

सरायकेला: संजय मिश्रा 

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शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की सरायकेला में विशेष सोलह दिवसीय पूजन उत्सव का समापन महाअष्टमी के अवसर पर रविवार को राज परिवार द्वारा मां पाउड़ी दर्शन के साथ हो जाएगा। उत्कलीय जगन्नाथ पांजी के मतानुसार आयोजित होने वाले मां दुर्गा के उक्त पूजन उत्सव के तहत शनिवार और रविवार की मध्य रात्रि 11:46:37 बजे परंपरा अनुसार महामेरू बलिदान किया जाएगा।

कभी तोपो की गूंज के बीच हुआ करता था महामेरू बलिदान:-

पंचांग के अनुसार मध्य रात्रि 11:46:37 बजे महामेरू बलिदान किया जाएगा। जिसमें तांत्रिक मतानुसार पूजन उत्सव में माता की प्रसन्नता के लिए सर्वप्रथम राज परिवार की ओर से बकरे की बलि उसके बाद शौर्य के लिए भैंसे की बलि और अंत में शांति के लिए भेड़ की बलि दी जाएगी। यादों के झरोखों से बताया जाता है कि रजवाड़े के जमाने में कोल्हान क्षेत्र में इस परंपरा का निर्वहन तोपों की गूंज के बीच किया जाता था। परंपराएं आज भी जीवित हैं परंतु तोपों की गूंज समय के साथ थम गई है। बताते चलें कि तोपों की गूंज के बीच महामेरू बलिदान के अंतिम प्रत्यक्षदर्शी रहे स्वर्गीय शरद चंद्र मोहंती का निधन भी वर्ष 2018 में हो गया। जिसमें तोपों से उड़े छर्रे के चोट के निशान उनके सिर पर अंतिम समय तक रहे।

रविवार को होगा नुआखिआ :-

सोलह दिनी मां दुर्गा के परंपरागत पूजन उत्सव के समापन पर राज परिवार के सभी सदस्य राज पैलेस स्थित मां पाउड़ी के दर्शन करेंगे। इस अवसर पर इष्ट देवी मां पाउड़ी के मंदिर के शिखर पर महा दीपदान किया जाएगा। तथा मां के चरणों में खेत से लाए हुए पहले अनाज के भोग का चढ़ावा चढ़ाया जाएगा। इसके पश्चात ही नए अनाज से प्रसाद तैयार किया जाएगा। जिसे नुआखिआ के तौर पर मनाते हुए राज परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर प्रसाद का सेवन करेंगे। मान्यता रही है कि खेत से आए हुए पहले अनाज को मां पाउड़ी को चढ़ावा चढ़ाने के पश्चात राज परिवार द्वारा सेवन करने के बाद ही अन्य घरों में नए अनाज का सेवन प्रारंभ किया जाता है।

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