सरायकेला और खरसावां में धूमधाम से निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी; हुआ कुरानख्वानी और मिलादशरीफ, बच्चों ने की कुरान की तिलावत; गूंजा नारे तकबीर अल्लाह-हु-अकबर….
सरायकेला (संजय मिश्रा)। पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद के यौम-ए-पैदाइश पर सरायकेला और खरसावां में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने 10 वां इस्लामिक रूप से खुशियों का जुलूस-ए-मोहम्मदी धुमधाम से निकाला। सरायकेला में राजबांध और बाजार से जुलूस ए मोहम्मदी निकाला गया। खरसावां के बेहरासाई मदिना मस्जिद से जुलूसे मोहम्मदी निकाली गई। ईद मिलादुन्नबी का जुलूस खरसावां के बेहरासाई से निकल कर खरसावां चांदनी चौक, कदमडीहा, कोलसाई होते हुए पुनः बेहरासाई पहुची। खुशियों के जुलूस में मिठाई आदि का वितरण किया गया। जुलूस में शामिल बुजूर्ग, बच्चों व जवानों ने नारे तकबीर अल्लाह-हु-अकबर, नारे रेसालत या रसूल अल्लाह, सरकार की आमद मरहबा के नारे लगाए गये। जुलूसे मोहम्मदी निकाली जिन मार्गो से गुजरी मरहबा की सदा से हर गली हर मौहल्ला में सरकार की आमद मरहबा के नारे गुंज उठी। जुलूस के माध्यम से समाज के लोगों ने पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाह अलेहे व सल्लम के जीवनी, उनके संदेशों का पालन करने का संदेश दिया। साथ ही भाईचारा, प्यार, मोहम्मद को अपनाने, बुराईयो के खिलाफ आवाज उठाने, महिलाओं पर हो रहे जुल्म को रोकने, समाज में इज्जत दिलाने, लोगो को इंसानियत का पाठ पढ़ाने का संदेश दी। इस दौरान मिलादुल नबी, फातिहा ख्वानी एवं सलातो-सलाम के कार्यक्रम आयोजित किए गए। छोटे छोटे बच्चों ने कुरान खानी पर पवित्र कुरान पाक की तिलावत की गई। वही देर शाम मिलादशरीफ का आयोजन कर पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाह अलेहे व सल्लम के संदेश को जन-जन तक पहुचानें का संर्देश दिया। जुलूस-ए-मोहम्मदी कार्यक्रम में मुख्य रूप से मौलाना आसिफ इकबाल रजवी, सदर राज तबरेज़, सेकेट्री मोहम्मद आनवर, चिकित्सक डॉ नयीम, डॉ आसिफ नयीम, सारीम बजमी, नवाज खान, ईब्रहीम खान, मोहम्मद आरिफ, मोहम्मद ताबेद, आफसर आलम, मोहम्मद महमूद, नियाज खान, मोहम्मद वाहीद, आनवारूल हक, मो जहीर, मो वाहीद, मो रमीज, मो शौकत, अनारूल हक, सहित मुस्लिम समाज के लोग व बच्चों ने लिया भाग।
मानवता की सेवा में गुजरा पैगंबर का जीवन: रजवी
खरसावा के बेहरासाई मदिना मस्जिद के मौलाना आसिफ इकबाल रजवी ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाह अलेहे व सल्लम का पुरी जिदंगी मानवता की सेवा में गुजरी है। बिगडती हुई सामाजिक दशा को सुधारने में महत्वपूर्व भूमिका अदा की। उन्होने बुराईयो के खिलाफ एक पहल की और लोगों को इंसानियत का पाठ पढाया। मोहम्मद साहब के इंसानियत वाले व्यवहार के कारण ही उन्हें रहमत-उल-आलमीन अर्थात पूरे संसार पर रहमत करने वाला कहा गया है। श्री रजवी ने कहा कि मोहम्मद साहब ने एक ही हज किया, जिसे ’हज्तुल विदा’ के नाम से जाना जाता है। बुराईयो के खिलाफ आवाज उठाने, महिलाओं पर हो रहे जुल्म को रोकने, समाज में इज्जत दिलाने, लोगो को इंसानियत का पाठ पढ़ाने का संदेश दी।
कौन थे पैगंबर हजरत मोहम्मद:-
मौलाना आसिफ इकबाल रिजवी ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था। इनके वालिद का नाम अब्दुल्लाह और वालदा का नाम बीबी अमीना था। वह इस्लाम के सबसे महान नबी और आखिरी पैगंबर थे। उनका जन्म मक्का शहर में जन्म 20 अप्रैल 571 ईस्वी को हुआ था। मक्का के पास हीरा नाम की गुफा में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। हजरत मोहम्मद ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की विधवा से शादी की। उनके बच्चे हुए, लेकिन लड़कों की मृत्यु हो गई। उनकी एक बेटी का अली हुसैन से निकाह हुआ। उनकी मृत्यु 632 ई. में हुई। उन्हें मदीना में ही दफनाया गया।
हजरत मोहम्मद का संदेश:-
मौलाना आसिफ इकबाल रजवी ने कहा कि हजरत मोहम्मद का कहना है कि सबसे अच्छा आदमी वह है जिससे मानवता की भलाई होती है। साथ ही उन्होंने कहा था कि जो ज्ञान का आदर करता है, वह मेरा आदर करता है। ज्ञान को ढूंढने वाला अज्ञानियों के बीच वैसा ही है जैसे मुर्दों के बीच जिंदा। हरजरत मोहम्मद ने कहा था कि भूखे को खाना दो, बीमार की देखभाल करो, अगर कोई अनुचित रूप से बंदी बनाया गया है तो उसे मुक्त करो, संकट में फंसे प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करो, भले ही वह मुसलमान हो या किसी और धर्म का।