सोलह कलाओं की धरा कही जाने वाली सरायकेला में बेटियां कर रही है कमाल…..
जूनियर स्कॉलरशिप सम्मान से सम्मानित अक्षरा छऊ डांस को और प्रगति छऊ डांस म्यूजिक में बांसुरी वादन को कैरियर बनाने के लिए है उत्साहित।
- सरायकेला : SANJAY
सोलह कलाओं की धरा मानी जाने वाली सरायकेला की पहचान छऊ नृत्य कला के लिए विश्व भर में है। जानकार बताते हैं कि सामरिक कला के रूप में उत्पत्ति हुई सरायकेला छऊ नृत्य कला में काफी समय पश्चात लीजेंड ऑफ मॉडर्न छऊ कुंवर विजय प्रताप सिंहदेव के अथक प्रयास से सामरिक छऊ नृत्य कला में नवरस का समागम हुआ था। जिसके बाद सरायकेला छऊ नृत्य कला आम कलाप्रेमी जनों के लिए सांस्कृतिक, मनोरंजक और सुलभ बनकर उभरी। जिसके बाद इसकी पहचान विश्व स्तर पर स्थापित हुई थी। परंतु एक लंबे समय तक छऊ नृत्य कला पुरुष प्रधान ही बना रहा। हाल के समय में सरायकेला छऊ नृत्य कला में महिलाओं का प्रवेश संभव हुआ है। जिसमें बेटियां अपनी दमदार उपस्थिति छऊ नृत्य कला में प्रस्तुत कर रही है। इसी के तहत बीते दिनों सरायकेला छऊ नृत्य कला में सरायकेला छऊ की नृत्यांगना 12 वर्षीया अक्षरा सिन्हा और सरायकेला छऊ नृत्य कला में छऊ म्यूजिक की बांसुरी वादन में 12 वर्षीया प्रगति पटनायक ने मिसाल कायम की है। भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत कल्चरल टैलेंट सर्च स्कॉलरशिप स्कीम सीटीएसएसएस जूनियर स्कॉलरशिप के वर्ष 2022-23 के लिए चार कलाकारों के साथ उनका चयन हुआ है। जिससे उत्साहित आठवीं कक्षा की छात्रा अक्षरा सिन्हा और सातवीं कक्षा की छात्रा प्रगति पटनायक ने छऊ नृत्य कला के अपने संबंध क्षेत्र को अपने कैरियर के रूप में स्थापित करने की मंशा जाहिर की है।
अक्षरा सिन्हा मात्र 7 वर्ष की उम्र से ही छऊ गुरु गणेश कुमार परीच्क्षा के मार्ग निर्देशन में छऊ डांस की शिक्षा हासिल करनी शुरू की। अक्षरा के पिता अमलेश सिन्हा इग्नू स्टडी सेंटर सरायकेला में काउंसलर है। और माता आशा सिन्हा कुशल गृहणी है। दोनों ही अपनी बेटी अक्षरा के भविष्य की उड़ान के साथ उसे एक बेहतरीन छऊ नृत्यांगना के रूप में देखना चाहते हैं। वही कई प्रमुख मंचों से सरायकेला छऊ नृत्य का प्रदर्शन कर चुकी अक्षरा भी सरायकेला छऊ नृत्य कला को आसमान की बुलंदियों पर जगमगाता हुआ देखने की तमन्ना रखती है।
सरायकेला छऊ म्यूजिक के क्षेत्र में पहली बार महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए सरायकेला की बेटी प्रगति पटनायक ने बांसुरी वादन में अपनी प्रतिभा को साबित किया है। राज्य और जिले सहित अन्य प्रमुख मंचों से अपने छऊ बांसुरी वादन की प्रतिभा का छाप छोड़ चुकी प्रगति मात्र 7 वर्ष की आयु से ही छऊ बांसुरी वादक गुरु कुश कुमार कारवा से शिक्षा हासिल कर रही है। प्रगति के पिता रंजीत पटनायक प्राइवेट जॉब में और माता रेखा पटनायक कुशल गृहणी हैं। जो अपनी बेटी प्रगति के भविष्य को उसके सपनों के साथ बढ़ते हुए देखने के इच्छुक हैं। वही प्रगति छऊ म्यूजिक में बांसुरी वादन को अपने कैरियर के रूप में देखते हुए इसके उत्थान के लिए समर्पित रहने की बात कहती हैं। बताते चलें कि सरायकेला छऊ नृत्य कला के म्यूजिक सेक्शन में उदासीनता के कारण इन दिनों नए कलाकारों का आगमन काफी धीमा रहा है।