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30 सालों बाद दुर्लभ संयोगो के साथ आज आया है सोमवार

सुकर्मा योग में सुहागिन महिलाएं करेंगी अखंड सौभाग्य

की कामना…

सरायकेला। एक ही दिन में 3 बड़े व्रत के अवसर कम मिलते हैं। 30 सालों बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है। जब ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या के साथ-साथ वट सावित्री और शनि जयंती एक साथ मनाई जाएगी। इस दिन पीपल के वृक्ष में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा होगी। और वट वृक्ष में भगवान शिव शक्ति एवं सत्यवान सावित्री की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार पांडवों की युग काल में एक बार भी सोमवती अमावस्या नहीं आई थी। वे लोग इंतजार करते करते ही संसार से चले गए।

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पंचांग वाचक पंडित बृज मोहन शर्मा उक्त जानकारी देते हुए बताते हैं कि वट सावित्री व्रत के तहत सुहागिन महिलाएं उपवास व्रत रखते हुए अति शुद्धता से स्नान ध्यान कर सोलह श्रृंगार करके वटवृक्ष के नीचे पहुंचेंगी। जहां वट वृक्ष की पूजा करते हुए अपने सुहाग की दीर्घायु होने और अखंड सौभाग्य की कामना के साथ शिव शक्ति की आराधना कर सत्यवान सावित्री की कथा का श्रवण करेंगे। और ऋतु फल प्रसाद एवं सुहाग श्रृंगार की वस्तुएं का चढ़ावा चढ़ा कर दान पुण्य भी करेंगी। इसी प्रकार सोमवती अमावस्या होने के कारण भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा भी पीपल वृक्ष में होगी। मान्यता है कि इस दिन दिया हुआ दान अनंत गुणा फल की प्राप्ति करवाता है। इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को वस्तु, सामग्री एवं खाद्यान्न का दान दिए जाने की मान्यता है।

सोमवती अमावस्या के दिन शनि जयंती है। इस दिन शनि देव की शांति के लिए विशेष पूजा, मंत्र जाप, हवन एवं अनुष्ठान आदि से शनि देव की उपासना की जाती है। जिन जातकों की शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है। और वे बड़े परेशान हैं। इस बार सोमवती अमावस्या को भगवान शिव काले तिल से उपासना करने से शनि की शांति प्राप्त होगी। इसके साथ ही अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों पितरों के लिए तर्पण पिंड दान आदि करके ब्राह्मणों एवं गरीबों को भोजन देकर पितरों को संतुष्ट किया जाता है।

इस प्रकार इस दिन भक्त सभी व्रतों का महापुण्य अर्जित कर सकते हैं। जिसमें शुभ

संयोग ओं के साथ सोमवार की सुबह 7:12 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभारंभ हो

रहा है। इसी प्रकार सोमवार की सुबह से ही सुकर्मा योग शुरू होकर

रात के 11:39 बजे तक रहेगा।

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