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ग्रामीण क्षेत्रों में गोम्हा तो शहरी क्षेत्रों में मना रक्षाबंधन उत्सव…

बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है; प्यार के दो तार से संसार बांधा है…

सरायकेला  संजय मिश्रा

सरायकेला शहरी क्षेत्र सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बृहस्पतिवार का दिन उल्लास का रहा। इस दिन विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत पर्व गोम्हा का त्यौहार मनाया गया। जिसमें बैष्टम पुरोहित ने घर घर जाकर पूरे परिवार को रक्षा सूत बांधे। इसके साथ ही ईश्वर से रक्षा सूत धारण करने वाले लोगों के लिए जीवन रक्षा की मंगल कामना की। मौके पर घरों में परंपरागत पीठा पकवान पकाकर सामूहिक भोजन का आनंद लिया गया।

इस संबंध में झारखंड रत्न युवा कवि ज्योतिलाल साहू ने जानकारी देते हुए बताया कि सिंहभूम क्षेत्र में गम्हा पर्व का विशेष महत्व रहा है। यह एक कृषि संबंधित पर्व है। जिसे प्रभु श्री बलराम के जन्म के अवसर पर मनाया जाता है। उड़ीसा से विच्छिन्न होने के बाद ओड़िया घरों में यह पूजा थोड़ा अलग ढंग से मनाया जाता है। इस दिन प्रभु बलराम, बैलों का जोड़ा, गाय बछड़ा और हल का चित्र दीवार पर ढाक से बनाकर ओड़िया पारंपरिक पकवान मंडा, काकरा एवं मालपुआ इत्यादि नैवेद्य चढ़ाया जाता है। और उसके दूसरे ही दिन खाने पीने का उत्सव होता है। जिसमें चकुली पीठा अनिवार्य रूप से हर उड़िया घर में खाया जाता है।

इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में रक्षाबंधन उत्सव की धूम रही। जहां बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके दीर्घायु होने की कामना करते हुए भाइयों से अपनी रक्षा का संकल्प लिया। इस मौके पर बहनों ने अपने भाइयों की आरती उतारकर और तिलक लगाकर उनका सत्कार किया। जिसके बाद भाई एवं बहन दोनों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर सरायकेला बाजार में सरायकेला के प्रसिद्ध विशेष बेसन लड्डू सहित मिल्क केक और अन्य मिठाइयों के खरीददारी की धूम रही।

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