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मानसून की लेटलतीफी ने खेती की गति को किया धीमा; लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है जिले में धान की खेती…

सरायकेला:संजय मिश्रा

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सरायकेला। मानसून की बेरुखी के बाद इस वर्ष जिले के किसानों को मानसून की लेटलतीफी का नखरा भी झेलना पड़ रहा है। जिसका परिणाम है कि सावन का 1 माह बीत जाने के बाद भी खेतों में धान बुवाई का कार्य लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है। अमूमन यही हाल सीजन के अन्य फसलों के कृषि कार्य के साथ भी बना हुआ है। समय पर पर्याप्त बारिश नहीं मिल पाने को किसान इसका सबसे बड़ा कारण बता रहे हैं। हालांकि बीते 3 दिनों से जिले भर में बढ़े मानसून के प्रभाव ने किसानों के चेहरे पर की शिकन थोड़ी बहुत कम की है।

बावजूद इसके मानसून की लेटलतीफी के लिए तैयार नहीं रहे किसान बताते हैं कि जिले की मुख्य उपाय धान की खेती एक महीना पीछे चली गई है। जिसने खेती के लिए तैयार खेतों में पर्याप्त बारिश नहीं प्राप्त होने के कारण धान रोपाई का कार्य लगभग पिछड़ चुका है। जबकि छींटाई पद्धति से धान की खेती की आस बनी हुई है। वही विभागीय आंकड़े भी अच्छी कृषि कार्य की दृष्टि से बेहतर नहीं माने जा रहे हैं।

विभागीय आंकड़ों में खरीफ की खेती की स्थिति:-
धान की खेती- वर्ष 2023-24 के लिए धान की खेती में हाइब्रिड धान के लिए 27000 हेक्टेयर पर रोपा खेती का लक्ष्य रखा गया था। परंतु 28 जुलाई तक इसकी शुरुआत भी नहीं हो सकी। इसी प्रकार अधिक उपजशील धान के लिए 46000 हेक्टेयर पर रोपा खेती का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें 28 जुलाई तक मात्र 2.01% लक्ष्य की प्राप्ति संभव हो पाई है। जबकि उन्नत धान की छींटा खेती के लिए 27000 हेक्टेयर पर खेती का लक्ष्य रखा गया था।

जिसमें 62% लक्ष्य की प्राप्ति हो पाई है। इस प्रकार कुल एक लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की खेती के लक्ष्य की दिशा में 28 जुलाई तक मात्र 17665 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की गई है। इसी प्रकार अन्य खरीफ की फसलों की खेती भी जिले में समय से वर्षा नहीं होने के अभाव में लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है।

जून और जुलाई महीने में नहीं मिली खेतों को पर्याप्त बारिश:-
धान की कृषि कार्य के लिए प्रमुख मानी जाने वाली जून और जुलाई के महीने में जिले में औसत से काफी कम वर्षा खेतों को प्राप्त हुई है। डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर ऑफिस के आंकड़ों के अनुसार जून महीने में सामान्यतः 122.8 मिमी बारिश के स्थान पर इस वर्ष जून महीने में मात्र 71.8 मिमी बारिश की प्राप्ति हुई है। जबकि जुलाई महीने में सामान्यत: 253.2 मिमी बारिश के स्थान पर मात्र 138.8 मिमी वर्षा की प्राप्ति हुई है।

ऐसे रहा है प्रखंडवार जुलाई महीने में वर्षापात:-
सरायकेला- 179.0 मिमी।
खरसावां- 185.0 मिमी।
कुचाई- 147.3 मिमी।
गम्हरिया- 216.3 मिमी।
राजनगर- 79.9 मिमी।
चांडिल- 136.0 मिमी।
नीमडीह- 92.0 मिमी।
इचागढ़- 140.4 मिमी।
कुकड़ू- 73.0 मिमी।

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