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विशेष: समान नागरिक संहिता कानून वर्तमान देश की जरूरत : मनोज कुमार चौधरी…

सरायकेला: संजय मिश्रा

सरायकेला। भाजपा नेता सह नगर पंचायत सरायकेला के पुर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने समान नागरिक संहिता कानून पर अपने विचार दिए हैं। उन्होंने कहा है कि समान नागरिक संहिता कानून लागू होने पर अलग-अलग धर्मों के लिए अलग कानून नही चलेंगे। एक देश एक कानून जैसी खुबसूरत व्यवस्था देश में लागू हो जाएगी। अलग अलग कानून होने पर न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है। समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षों से लंबित पड़े मामलों के फैसले जल्द होंगे। सभी के लिए कानून में एक समानता से देश में एकता बढ़ेगी। जिस देश में समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्‍य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं। फिलहाल भारत में कई कानून धर्म के आधार पर तय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद यूसीसी का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है। देशभर में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है।

उन्होंने कहा है :-कि तमाम विपक्षी दलों को देशहित के इस मुद्दे पर ओछी राजनीति छोड़कर एकजुटता के साथ सहयोग करना चाहिए। जबकि विपक्षी दलों द्वारा कुतर्क देकर सवाल उठाया जा रहा हैं। श्री चौधरी ने विपक्षी दलों से सवाल किया है कि आखिर दोहरी व्‍यवस्‍था से देश कैसे और कब तक चल सकता है। पीएम मोदी ने ये भी कहा था कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का जिक्र किया गया है। ऐसे में बीजेपी ने तय किया है कि वो तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के बजाए संतुष्टिकरण के रास्ते पर चलेगी। पीएम मोदी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों में हलचल मच गई है। अगर समान नागरिक संहिता को भविष्‍य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा।

वर्तमान में गोवा में लागू है यूसीसी:-

भारत में गोवा एकमात्र ऐसा राज्‍य है जहां यूसीसी लागू है। संविधान में गोवा को विशेष राज्‍य का दर्जा दिया गया है। इसे गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है। वहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समेत सभी धर्म और जातियों के लिए एक ही फैमिली लॉ है। इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है। रजिस्‍ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्‍य नहीं होगी। शादी का रजिस्‍ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरीए ही हो सकता है। संपत्ति पर पति-पत्‍नी का समान अधिकार है। इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं। गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है।

भारत में क्‍यों नहीं लागू हो पाया समान नागरिक कानून का जिक्र पहली बार 1835 में ब्रिटिश काल में किया गया था। उस समय ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अपराधोंए सबूतों और ठेके जैसे मुद्दों पर समान कानून लागू करने की जरूरत है। संविधान के अनुच्छेद.44 में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करने की बात कही गई है। लेकिन फिर भी भारत में अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका। इसका कारण भारतीय संस्‍कृति की विविधता है। यहां एक ही घर के सदस्य भी कई बार अलग-अलग रिवाजों को मानते हैं। आबादी के आधार पर हिंदू बहुसंख्‍यक हैं, लेकिन फिर भी अलग-अलग राज्‍यों में उनके रीति रिवाजों में काफी अंतर मिल जाएगा। सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और मुसलमान आदि तमाम धर्म के लोगों के अपने अलग कानून हैं।

ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के कानून अपने आप खत्‍म हो जाएंगे। देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर पहले भी राय मांगी जा चुकी है। साल 2016 में विधि आयोग ने यूसीसी को लेकर लोगों से राय मांगी थी। इसके बाद आयोग ने 2018 में अपनी रिपोर्ट तैयार की और कहा कि भारत में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है। बता दें कि समान नागरिक संहिता हमारी पार्टी बीजेपी के मुख्‍य तीन एजेंडा शामिल रही है। इसमें पहला जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद.370 को हटाना था। दूसरा अयोध्‍या में राममंदिर का निर्माण कराना था। इन दोनों एजेंडा का काम खत्‍म करने के बाद अब बीजेपी यूसीसी को लागू करने के लिए अपना जोर लगा रही है।

दुनियाभर में कहां लागू है समान ना‍गरिक संहिता:-

समान नागरिक संहिता को लेकर अगर दुनिया की बात करेंए तो ऐसे तमाम देश हैं जहां ये लागू है। इस लिस्‍ट में इनमें अमेरिका, आयरलैंडए ,पाकिस्तानए, बांग्लादेशए, मलेशियाए, तुर्कीए, इंडोनेशियाए, सूडानए ,मिस्र जैसे तमाम देशों के नाम शामिल हैं। यूरोप के कई ऐसे देश हैं।

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