मुस्लमानों ने अकीदत के साथ अदा की बकरीद की नमाज, अमन-चैन व खुशहाली के लिए मांगी सामुहिक दुआ
सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) ईद उल अजहा मुस्लिम समुदाय का पाक त्यौहार है। इसे लेकर बुधवार को जिलेभर में सादगी के बीच कुर्बानी के त्यौहार ईद उल अजहा की नमाज अदा की गई।
इस बकरीद पर कोराना वायरस संक्रमण महामारी को लेकर लोगों में साफ खौफ देखने को मिला। कोरोना के कारण मस्जिदों व ईदगाह में सन्नाटा पसरा रहा। मुस्लमानों ने घरों की चाहरदीवारी के अंदर ही कैद होकर अकीदत के साथ ईद उल अजहा की नमाज अदा की। बुधवार को सरायकेला एवं खरसावां सहित जिलेभर में त्याग व भाईचारगी की प्रतीक बकरीद अकीदत के साथ मनाई गई। ईद उल अजहा की नमाज पूरी सादगी के साथ सोशल डिस्टेसिंग के तहत पांच से सात लोगों के साथ खरसावां के मदीना मस्जिद बेहरासाई, मस्जिद निजामुददीन गोढपुर, मस्जिदे बिलाल कदमडीहा सहित जामिया मस्जिद कदमडीहा में अदा की गई।
वही बाकी लोग चाहरदीवारी के अंदर अपने-अपने घरों नमाज अदा की। कुर्बानी की फजीलतें बयान करते हुए ईमानों ने ईद-उल-अजहा पढाई। मस्जिदों में गिने-चुने लोग जमा होकर कतारबद्व तरीके से ईद उल अजहा की नमाज अदा की। साथ ही इमाम से खुतबे भी सुनी। इसके अलावे खुदा से मुसलमानों ने अमन-चैन व खुशहाली के साथ शांति व मगफिरत की सामुहिक दुआ की। खुतबे सुनने के बाद लोगों ने एक दुसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी। नमाज अदा करने के बाद कुर्बानियों का दौर शुरू हो गया। ईद उल अजहा से तीन दिनो तक कुर्बानी की रस्म अदा की जाती है।
जानवरों के साथ अपनी बुरी आदतों की दे कुर्बानी-रिजवी
खरसावां के मदीना मस्जिद बेहरासाई में ईद उल अजहा की नमाज अदा करने के बाद मौलाना मो0 आसिफ इकबाल रिजवी ने कहा कि मुसलमान केवल जानवरों की ही नही बल्कि बुरी आदतो की भी कुर्बानी दे। कुर्बानी लोगो में त्याग की भावना जगाती है। खास जानवरों को सवाब की नीयत से अल्लाह की राह में जबहा करे। कुर्बानी हजरत इब्राहीम अलैहिस सलाम की सुन्नत है। मोहम्मद साहब ने भी कुर्बानी का हुक्म दिया है। कुरआन पाक के सूरह कौसर में अल्लाह फरमाता है तुम अपने रब के लिए नमाज पढों और कुरबानी करो।
इस्लाम में कुर्बानी की है बडी अहमियत
इस्लाम में कुर्बानी की बडी अहमियत है। यह एक तरह से माल की इबादत भी है। कुर्बानी दुनिया के तमाम मुसलमानों पर फर्ज है, जो हैसियत रखते है। मोहम्म्द स. ने फरमाया जिसने नेक नीयत, खुशी और हलाल तरीके से कुर्बानी दी उसे जहन्नुम की आग से बचा लिया जाएगा।
सैकडों बकरों की दी गई कुर्बानी
अल्लाह की राह पर सैकडों की संख्या में बकरों की कुर्बानी दी गई। बकरीद की नमाज के साथ शुरू हुई कुर्बानी अगले तीन दिनों तक चलेगी। ऐसी मान्यता है कि हजरत इब्राहिम अलहीसलाम ने अपने बेटे इस्माइल अलहीसलाम से स्वप्न में कहा कि तुम अपने सबसे अजीज वस्तु की कुर्बानी दो। हजरत इब्राहीम ने अल्लाह के खातिर इस काम को कर दिखाया। इकलौते बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बानी देने के दौरान हजरत इब्राहीम की आंखो में पटटी बंधी थी। अल्लाह ने फरिष्तों के सरदार हजरत जिबरईल को भेजकर हजरत इस्माइल की जगह एक दुम्बे (बकरा) को रखवा दिया। हजरत इब्राहीम ने जब बेटे की गर्दन पर छुरी चलाई तो उनकी जगह वह बकरा कुर्बान हो गया। इसलिए इस याद को ताजा रखने के लिए बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी दी जाती है।