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सरायकेला की परंपरागत रथ यात्रा: हेरा पंचमी पर रथभांगिनी का हुआ आयोजन; कुपित माता लक्ष्मी ने तोड़ा महाप्रभु श्री जगन्नाथ का रथ; मान-मनौव्वल के बाद पहुंचाई गईं वापस श्री मंदिर…

सरायकेला: संजय मिश्रा । जगन्नाथ धाम पुरी के तर्ज पर सरायकेला में आयोजित होने वाली परंपरागत रथ यात्रा के तहत बृहस्पतिवार को हेरा पंचमी के शुभ अवसर पर रथभांगिनी धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इसके तहत पौराणिक मान्यता के अनुसार कुपित माता लक्ष्मी ने श्री मंदिर से आकर गुंडिचा मंदिर के समीप खड़े महाप्रभु श्री जगन्नाथ के रथ को तोड़ा। जिसके बाद पुजारी पंडित ब्रह्मानंद महापात्र के साथ पुजारियों के दल द्वारा करतल ध्वनि, शंख वादन और आरती प्रार्थना के साथ माता लक्ष्मी का मान-मनौव्वल करते हुए उन्हें मना कर उनके गुस्से को शांत कराया गया।

जिसके बाद माता लक्ष्मी को पालकी में बिठाकर वापस जगन्नाथ श्री मंदिर पहुंचाया गया। पुजारी पंडित ब्रह्मानंद महापात्र द्वारा बताया गया कि इसके पीछे धार्मिक मान्यता रही है कि सांसारिक और पारिवारिक मूल्यों की प्रधानता को महत्व देने वाले जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ कलियुग में तार-तार होते पारिवारिक संबंधों के महत्व का संदेश देते हैं। जिसके तहत रथ यात्रा करने के लिए श्री मंदिर में अपनी पत्नी माता लक्ष्मी को बिना बताए अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी अर्धासनी के घर जाने के लिए रथ यात्रा करते हैं।

जहां गृहलक्ष्मी पत्नी को बिना बताए जाने पर मान पर ठेस पहुंचते देख माता लक्ष्मी महाप्रभु श्री जगन्नाथ को खोजने श्री मंदिर से निकल पड़ती है। और खोजते खोजते मौसी बाड़ी पहुंचती है। जहां माता लक्ष्मी महाप्रभु श्री जगन्नाथ के रथ को मौसी बाड़ी गुंडिचा मंदिर के मुख्य द्वार के समीप खड़ी देखती हैं। बहु होने के नाते बिना आमंत्रण गुंडिचा मंदिर मौसी बाड़ी में नहीं प्रवेश कर सकने से कुपित माता लक्ष्मी बाहर खड़े नंदीघोष रथ को तोड़ देती है। जिसके बाद पुजारियों के दल द्वारा विनती प्रार्थना और मान मनौव्वल कर ससम्मान पालकी में वापस श्री मंदिर पहुंचाया जाता है।

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