सीडब्ल्यूसी ने मंद बुद्धि बालक को उसके परिवार को सौपा, 25 सितम्बर को बालक दिग्धी से बरामद किया गया था…
दुमका: मौसम कुमार
दुमका। बाल कल्याण समिति के प्रयास से काठीकुण्ड इलाके का रहनेवाला 14 वर्षीय मंद बुद्धि बालक को उसका परिवार को सौप दिया गया । यह बालक दुमका के दिग्घी (विवि) ओपी क्षेत्र में भटकता हुआ मिला था जिसे पुलिस ने सीडब्ल्यूसी के समक्ष 25 सितम्बर को प्रस्तुत किया था। बालक अपना नाम या पता बताने में सक्षम नहीं था। समिति ने बालक को बालगृह में आवासित करते हुए उसका फोटो जारी कर अभिभावक की तलाश शुरू की। इस बीच बालक को मिर्गी का दौरा पड़ा तो उसे इलाज के लिए फूलो झानो मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां इलाज के बाद उसे छूट्टी दे दी गयी।
शुक्रवार को बालक के पिता गांव के लोगों के साथ समिति के कार्यालय पहुंचे। चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने इस मामले की सुनवायी की। पिता ने बताया कि किसी ने अखबार में बालक का फोटो देखकर उन्हें बताया कि वह दुमका में है। वह पिछले कई दिनों से अपने बेटे की तलाश कर रहे थे और उसे सुरक्षित पाकर काफी खुश थे।
परिजन ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं। उसके चार संतान में से यह बालक सबसे छोटा है। यह बचपन से ही मंद बुद्धि है। उन्होंने इसका इलाज नहीं करवाया है। बालक बोलने में सक्षम नहीं है। कुछ पूछने पर अपने पिता की ओर देख रहा था। बालक के सर्वाेत्तम हित में समिति ने बालक को उसके पिता को सौंप दिया।
05 किशोरों को परिवार में किया गया रिस्टोर, सरकारी योजना से जोड़ा गया ….
दुमका। सीडब्ल्यूसी ने शुक्रवार को चार किशोरियों एवं एक किशोर को उनके परिवारों में पुर्नवासित (रिस्टोर) कर दिया। 11 सितम्बर को जारी विभागीय पत्र में छह माह से अधिक समय से बालगृह में रह रहे बालक व बालिकाओं को उनके परिवार में रिस्टोर करने को कहा गया है। इसके आलोक में वर्ष 2019 से बालगृह बालिका में रह रही रामगढ़ की 10 वर्षीय किशोरी को उसकी माता के साथ घर भेज दिया गया। इसी तरह से जनवरी 2022 से क्रमशः बालगृह बालक व बालिका में रह रहे 10 व 11 वर्षीय भाई बहनों को उनके दादा को सौंप दिया गया। इनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। समिति ने दोनों भाई बहनों को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ दिया है जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए तीन सालों तक प्रतिमाह 4000 रुपये मिलेंगे। मसलिया से भाग कर दुमका 27 सितम्बर की रात दुमका पहुंची किशोरी और उसकी भतीजी को भी उनके परिवार को सौंप दिया गया।