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चाकुलिया: दीपावली में गाय के गोबर और मुलतानी मिट्टी के मिश्रण से बने गौशाला के दीयों से रोशन होंगे शहर

चाकुलिया (विश्वकर्मा सिंह) भारत उत्सव धर्मी देश है जहां प्रत्येक उत्सव के पीछे स्वदेशी और प्राकृतिक उत्पादों के उपयोग की परंपरा रही है. कृषि प्रधान भारत का पर्व हमेशा कृषकों के जीवन में खुशियां प्रदान करने वाला रहा है. पिछले कुछ वर्षों से इस व्यवस्था में व्यवधान आ गया था और बिचौलियों की मदद से देशी-विदेशी कंपनियों ने किसानों की उपेक्षा कर अपनी मर्जी से वेशकीमती उत्पाद बाजार में उतार कर किसानों को परमुखापेक्षी बना दिया था. लेकिन अब स्थिति में सुधार की पहल शुरू हो गई है. इस अवसर पर कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी द्वारा संचालित चाकुलिया गौशाला ने गाय के गोबर और मुलतानी मिट्टी के मिश्रण से दीपक बनाने का उपक्रम शुरू किया जिसमें न तेल रिसने का खतरा है और न ही जल्दी बुत जाने का भय है. एक बार दीपक जलाने से ढ़ाई-तीन घंटे तक रोशनी का आनंद लिया जा सकता है. यह प्रदूषण रहित है जिसे जल जाने के बाद किसी गमले में डाल देने से वह स्वत: खाद बनकर पौधों को जीवन प्रदान करने के काम आता है. इसीलिए ऐसे दीपक की मांग लगातार बढ़ रही है.

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चाकुलिया गौशाला को मिल रहे सकारात्मक परिणाम को देखते हुए अन्य गौपालक संस्थाओं में भी इसे अपनाने की होड़ मची है. कुल मिलाकर प्रकृति, पर्यावरण और परिवेश बांधव उत्पादों को लेकर लोगों का सकारात्मक रूख ग्रामीण आबादी को खुशियां देने वाला है.

सचिव संजय लोधा ने बताया की लोगों में प्रकृति और स्वदेशी के प्रति प्यार लौट रहा है. पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि झारखंड, बिहार, उड़ीसा सहित पूरे देश से ऐसे दीपक की मांग आ रही है. इस बार 25000 दीपक बनाने का लक्ष्य है जिसे आने वाले समय में गुणात्मक तरीके से बढ़ाया जाएगा. उन्होंने बताया कि सैकड़ों गौ प्रेमी किसान और मजदूर पूरी मेहनत से दीपक निर्माण के पुण्य कार्य में लगे हैं. नक्काशीदार सांचे में बन रहे ये दीपक आकर्षक और किफायती हैं. दस दीपक के एक पैकेट की कीमत पचास रुपये रखी गई है.

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