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खरसावां-कुचाई में जगह-जगह उरावं सरना समाज ने मनाई प्राकृति का त्योहार सरहुल, मादर की थाप पर थिरके लोग….

सरायकेला (संजय मिश्रा)

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खरसावां-कुचाई प्रखंड के विभिन्न गांवो में उरावं समाज के द्वारा सरहुल महापर्व-2024 का आयोजन किया गया। खरसावां के मोसोड़ीह सरना चौक में आदिवासी उरॉव सरना समाज एवं सरहुल महापर्व कमिटि सरायकेला खरसावां के द्वारा, कुचाई के जिलिंगदा में उरावं सरना समिति जिलिंगदा, सरना समिति पोड़ाकाटा, बकास्त मुंडारी खुटकटी क्षेत्र 39 मौजा दलभंगा एवं आदिवासी सामाजिक मंच कुचाई के द्वारा दलभंगा हाई स्कूल मैदान तथा आदिवासी उरावं सरना समिति जिलिंगदा में सरहुल महापर्व का आयोजन किया गया।

सुबह ही समाज के लोग एकजुट होकर सरना धर्म के पारम्परिक रीति रिवाज के तहत पूजा-अर्चना किया। इसके पश्चात खरसावां-कुचाई के विभिन्न सरना स्थल तक शोभा यात्रा निकाली गई। पर्व त्योहार, पूजा उपासना, दया धर्म हमारी पहचान के तर्ज पर पूजारी के द्वारा प्राकृति की पूजा अर्चना पारम्परिक ढंग से किया। सरहुल महोत्सव को संबोधित करते हुए खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि आदिवासी प्राकृतिक के पूजारी है। हमारा जन्म उसी प्राकृति की गोद में हुआ है और प्राकृति हमारा रक्षक है। यह त्योहार समाज के लिए मात्र मस्ति उमंग का नही बल्कि प्राकृति पूजन का त्योहार है।

प्राकृति ने हमे जीवनदान दिया है। अपनी गोद में पालकर बढाया है और अपनी ऑचल में हमें सुरक्षा प्रदान करती है। इसके बगैर हम जीवन की कल्पना नही कर सकते है। वही भारत सरकार के जनजातीय केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी सह भाजपा नेत्री मीरा मुंडा ने कहा कि बंसत के आगमन के साथ ही प्राकृति अपना श्रृगार करना शुरू कर देती है। पेड़-पौधों में नये-नये कोमल पत्ते उग आते है। पैड़ फुलों से लदे जाते है। इस मनमोहक मौसम में लोगों के मन आनंद उमंग का संचार होता है। प्राकृति के रंगरूप भी बदलते जाते है।

इस दौरान उरावं समाज के लोगों ने प्राकृति की पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली, अच्छी फसल, अच्छी बर्षा, गांव के सुख शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की गई।
निःसंदेह “सरहुल“ जनजीवन का प्रतीक- महेश्वर उरावं
कुचाई के अरूवा पंचायत पूर्व मुखिया महेश्वर उरांव ने कहा कि आदिवासियो का महान पर्व है सरहुल। निःसंदेह “सरहुल“ जनजीवन का प्रतीक है। यह पर्व मात्र एक पुजा ही नही है। बल्कि यह लोगों को पर्यावरण के प्रति प्यार का संदेश भी देता है। पर्व का उद्देश्य होता है सृष्टि संबंध और उसमें आदिवासियो की भुमिका को प्रतीकात्मक पुनरावृत्ति द्वारा कायम रखना है।

सरहुल नृत्य पर यह है विश्वास:-
आदिवासियो का विश्वास है कि साल वृक्षों के समूह में जिसे यहां सरना कहा जाता है। उससे महादेव निवास करते है। महादेव और देव पितरों को प्रसन्न करके सुख शांति की कामना के लिए चैत्र पूणिमा की रात को इस नृत्य का आयोजन किया जाता है।

आदिवासियो का बैगा सरना वृक्ष की पूजा करते हैं। वहां घडे में जल रखकर सरना के फूल से पानी छींटा जाता है। ठीक इसी समय सरहुल नृत्य प्रारम्भ किया जाता है। सरहुल नृत्य के प्रारंभिक गीतों में धर्म प्रवणता और देवताओं की स्तुति होती है, लेकिन जैसे जैसे रात गहराती जाती है, उसके साथ ही नृत्य और संगीत मादक होने लगता है। यह नृत्य प्रकृति की पूजा का एक बहुत ही आदिम रूप है।
विधि विधान से हुई पूजा अर्चना
आदिवासी उरावं समाज के लोगों ने विधि विधान के साथ सरना स्थल पर पूजा अर्चना किया। सुबह से उपवास रखकर गांव के बुढे बंजूगों लडके और लडकिया गाजे बाजे के साथ सरना स्थल पहुचे।

और अरूवा चावल, सिंदुर, धवन रेगवा, मुर्गा लेकर पूजा अर्चना किया। सरहुल महापर्व का शुभआरंभ सुबह 9 बजे से पूजा-अर्चना के साथ हुई। वही उपासको के पूजा, सामुहिक प्रार्थना एवं उपासकों द्वारा जलाभिषेक की गई। इसके पश्चात सरना फूलवरण तथा पुजारी द्वारा आशीष, सरहुल मिलन, मॉ सरना, धर्मेश बाबा का भजन संगीत समारोह सहित सांस्कृतिक नृत्य कार्यक्रम के साथ सर्म्पन हो गई। सरहुल नृत्य में दिखा संस्कृतिक झलक
सरहुल महोत्सव में नृत्य के माध्यम से संस्कृतिक झलक देखने को मिला। महोत्सव में जिलिंगदा, पोड़ाकाटा, दलभंगा, कुचाई, मोसोडिह, आन्नदडीह, कुलटांड, सोहरबेडा, तेतृलटांड, जिलिगंदा, बाघडीह, विटापुर, रायडीह आदि गांवो से पहुचे नृत्य मंडलीयों ने भव्य नृत्य की प्रस्तुती दी।

ये थे मौजुद :-

खरसावां विधायक दशरथ गागराई, भाजपा नेत्री मीरा मुंडा, उदय सिंहदेव, विजय महतो, लखीराम मुंडा, जिप झिगी हेंब्रम, दुलाल स्वासी, मंगल सिंह मुंडा, लाल सिंह सोय, धर्मेंद्र सिंह मुंडा, भारत सिंह मुंडा, पूर्व मुखिया महेश्वर उरावं,
मुखिया करम सिंह मुंड़ा, मुखिया इन्द्रजीत उरावं, मुखिया रेखा मनी उरावं, महेश मिंज, सुनील लकड़ा, बाबुलाल लकड़ा, मिश्रो उरावं, मदन लकड़ा, राकेश उराव, दिपक उराव, संचू उराव, अमर सिंह मिज, उमेश कच्छप, राजेन लकड़ा, मनोज कच्छप आदि मौजुद थे।

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