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इस धनवंतरी त्रयोदशी पर बना है त्रिपुष्कर शुभ योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और

अमृत सिद्धि योग….

इस धनतेरस घरों और दिलों में लाएं बड़ों के लिए सम्मान और परिवार एवं सभी के लिए खुशियां।

सरायकेला। इस वर्ष की धन्वंतरि त्रयोदशी शुभ संयोगों के साथ आ रही है। जिसमें त्रिपुष्कर का शुभ योग बना है। उक्त जानकारी देते हुए क्षेत्र के प्रसिद्ध पंचांग वाचक एवं श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी पंडित बृज मोहन शर्मा बताते हैं कि त्रिपुष्कर योग में किए गए कार्य का 3 गुना फल प्राप्त होगा। जिसमें आगामी 22 अक्टूबर शनिवार को शाम के 5:52 बजे से धनतेरस यम दीप दान किया जा सकेगा। जिसके बाद अगले दिन 23 अक्टूबर रविवार संध्या 5:52 बजे तक धनतेरस की तिथि मान्य होगी। रविवार 23 अक्टूबर को सूर्योदय से पूरे दिवस सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। जब भी दोपहर 2:32 बजे से पूरे दिवस अमृत सिद्धि योग रहेगा। उन्होंने कहा है कि पंचांगीय दशा के अनुसार 23 अक्टूबर रविवार को शाम 5:00 बजे से 5:44 बजे तक धनतेरस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त होगा। जबकि सुबह 11:07 बजे से दोपहर 12:52 बजे तक अभिजीत मुहूर्त पूजा और खरीददारी के लिए श्रेष्ठ समय होगा। इसके अलावा दोपहर 11:55 बजे से 2:35 बजे तक विजय मुहूर्त में भी खरीददारी की जा सकेगी।

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आइए इस दीपावली करते हैं कुछ खास:-
जानकार बताते हैं कि दीपावली पूजन और उत्सव का मूल मंत्र दीप प्रज्वलित कर अमावस की काली स्याह रात के अंधकार को दूर भगाना है। जिसे असत्य पर सत्य और अज्ञान पर ज्ञान के विजय के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस के अवसर पर आरोग्य दाता धनवंतरी की आराधना के साथ कुबेर देव और माता लक्ष्मी के घर में आगमन का आह्वान किया जाता है। जिससे आरोग्य और धन की संपदा विकसित हो। इसके लिए धातु की वस्तुओं यथा सोना चांदी सहित अन्य धातुओं की खरीददारी का महत्व होता है। बुजुर्गों के अनुसार इस वर्ष दीपावली और धनतेरस शुभ संयोगों में संस्कारों के साथ संपन्न हो। आधुनिकता के भागम भाग में रेस लगा रहे समाज के बीच इस धनतेरस बुजुर्गों, वृद्धजनों और बड़ों का सम्मान तथा अन्य सभी के लिए खुशियां लाने वाला धनतेरस मनाया जाए। जानकारों के अनुसार ऐसा करने से आरोग्यता के विकास के साथ खुशहाल लक्ष्मी का भी घर में आगमन और निवास बना रहेगा।

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