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रांची : आज ही के दिन खोया था झामुमो ने अपने कद्दावर नेता सुनिल कुमार महतो को ।

 ✍️ : दीपक नाग (झारखंड न्यूज ब्यूरो हेड)

आज ही के दिन 4 मार्च 2007 होली के दिन था, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपना एक कद्दावर नेता सुनिल कुमार महतो को खोया था । घाटशिला प्रखंड के बाघुरिया गांव में एक फुटबॉल मैच में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में गये थे और घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी । अठारह साल गुजर गया इस मर्माहत घटना को हुए ।‌ जांच एजेंसी को इतना ही पता चल पाया कि, नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया था। कारणों का पता आज तक स्पष्ट नहीं हो सका। आज स्वर्गीय सुनिल कुमार महतो का पुण्य तिथि है । झारखंड के विभिन्न हिस्सों में उनका शहादत दिवस मनाया जा रहा है।

स्वर्गीय सुनिल कुमार महतो एक साधारण परिवार में पले बढ़े थे । परिवार का कोई पोलिटिकल बैक ग्राउंड नहीं था । झारखंड आंदोलन में सशक्त भूमिका निभाने की बातें किसी से छुपा नहीं है । खुद की कड़ी मेहनत और लगन से झारखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव बना और 2004 मे चौदहवीं लोकसभा चुनाव जीत कर जमशेदपुर से सांसद बने थे ।‌ बहुत कम ही राजनेताओं में देखा जाता है कि, जन प्रतिनिधि बनने के बाद आम लोगों के साथ सीधा संपर्क रखने का कला को बनाए रख पाता है । पर स्वर्गीय सुनिल कुमार महतो इस कला में माहिर थे । झामुमो पार्टी में अपना अच्छा खासा पैठ बना लिया था ।‌ झारखंड मुक्ति मोर्चा में गुरु जी शिबू सोरेन के बाद उनको लोग जानने लगे थें। एक खासियत उनमें और भी मौजूद था, जातिय ध्रुवीकरण का राजनीति करना अच्छा जानते थे।‌ उन्हीं के समय में महतो समुदाय के लोग झारखंड मुक्ति मोर्चा के खेमे में सबसे अधिक देखा गया था।‌ वे झारखंड में महतो समाज के लिए चमकता सितारा हुआ करता था ।

महतो समुदाय को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए इन दिनों झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास उनके तुलना मे दुसरा नेता उभर नहीं आ सका । झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह अहसास भी है । पिछले कुछ वर्षों के बीच महतो समुदाय के मतदाताओं का ध्रुवीकरण जो झामुमो के पक्ष में था वह बिखरता नजर आ रहा है। झारखंड में महतो समुदाय के अधिकार को लेकर एक नया युवा चेहरा जयराम महतो तेजी से उभरता नजर आ रहा है । राजनीति में नये रंग-रुट होते हुए भी अन्य राजनितिक पार्टी के लिए चुनौती के रुप में प्रस्तुत करने में काफी हद तक सफल भी रहा है ।‌ झारखंड के लोकतंत्र के मंदिर में आज विधायक बनाकर झारखंड और महतो समुदाय का अस्तित्व रक्षा के आवाज  उठा रहे हैं । महतो समुदाय के लिए “ब्रांड हीरो”  बना हुआ है । आने वाले वर्षों में झारखंड के लगभग सताइस प्रतिशत से अधिकांश महतो समुदाय का मत जयराम महतो के खेमे में ध्रुवीकरण होने से इंकार करना ग़लत हो सकता है।

जाहिर है, स्वर्गीय सुनिल कुमार महतो की कमी झारखंड मुक्ति मोर्चा को खलता जरूर होगा । अगर वे आज होते तो, जयराम महतो के लिए महतो समुदाय के नाम पर राजनीति का राह बहुत कठीन होता ।

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