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दलमा के सभी नाकों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था,आधुनिक हथियार के साथ पहुंचे विशु शिकार के शिकारी, पुजा अर्चना कर चढ़ेगें दलमा जंगल …

चांडिल (कल्याण पात्रा): झारखंड की जनजातीय लोक जीवन की गतिविधियों के उजागर करने वाली अनेक परंपराओं में से एक है – सेंदरा है । विशु सेंदरा के दौरान बड़े इलाके में शिकार करना होता है। जिसमें गाव के पुरुष 15 दिनों तक जंगल में रहकर शिकार करते हैं।

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महिलाएं करती हैं गांव की रखवाली :

विशु सेंदरा में पुरुष शिकारी ही जंगल में शिकार करते हैं। पुरुषों के गाव छोड़कर जंगल जाने के उपरात महिलाएं ही रात-दिन गांव की रखवाली करती हैं।

आदिवासी समाज दलमा जंगल में विशु सेंदरा करतें हैं।

जंगल पहुँच कर पहले अपने इष्ट देव की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करते है । सूर्य उदय के पूर्व विशु सेन्दारा वीर जंगलों में प्रवेश करते है दिन भर के शिकार के बाद जंगल से निकल कर शिकार को जंगल के किनारे परंपरा गत नृत्य के साथ सकुशल घर वापस जाते है ।

आदिवासी की परंपरागत विशु शिकार (सेंदार) पर्व शिकार करने, जाने से पूर्व पूजा अर्चना करते हे।उसके बाद सेकोड़ों सेंदरा वीर शिकारी आपने आपने कुल देवता को प्रणाम करके आधुनिक हथियार , तीर धनुष,बल्ला, टांगी,बंदूक , टोटा,तलवार,आदि सामग्री लेकर जंगल में चढ़ कर शिकार करते है । आज सुबह से सेंदरा वीर जंगल में प्रवेश करना शुरूकर दिया है ।

कोई जगह पर नाका बनाए गए । नाका का नाम :

चाकुलिया चेकनाका मुख्य गेट । दाढ़ीसोल नाका बहरागोड़ा, बहरागोड़ा चैक नाका, धालमुगाद चेक नाका,काली मंदिर चेक नाका एन एच ३३,घाटशिला , हाता हल्दी पोकर चेकनाका ,देवघर भिलापहड़ी चेक नाका, डाहुबेडा चेक नाका,चांडिल रेलवे स्टेशन ,रघुनाथपुर निमडीह चेक नाका ,भादुडीह चेक नाका ,गेरुआ चेक नाका में वन विभाग द्वारा कर्मचारी तैनात किया गया। पश्चिम बंगाल पुरुलिया जिला के मेदनीपुर जिला के विभिन्न जगह से आदिवासी लोगो पहुंचते है।साथ ही उड़ीसा राज्य ,बिहार राज्य से सैकडो सेंद्ररा वीर पहुंचते है। जेसै ट्रेन व बस आदि द्वारा शिकारी आते है जिसको रोकथाम के लिए चेक नाका लगाया गया ।सभी गाड़ी को जांच करते हे।शिकारी के पास से फंदा आदि को जप्त करते है।

दलमा की सुरक्षा में तैनात पदाधिकारी और कर्मी ।

वाइल्डलाइफ पीसीएफ, सीसीएफ, ऐसीएफ, १२ डिएफओ साथ ही रेंजर व वनपाल ,वन रक्षित , ईको विकाश समिति के संदस्य तथा दैनिक भोगी मजदूर । सेंचुरी के अंदर गाड़ी से पेट्रोलिंग का कड़ी व्यवस्था रखा गया है । एक भी शिकारी एक भी वन्य जीवजंतु का शिकार कर न पाएं। वही शिकारी को हाथ में केवल
चीतल , हिरण, सुअर, मौर,जंगली मुर्गा,खरगोश ,लाल गिलहरी,बंदर,आदि वन्य जीवों का शिकार कर पाते है।

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