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राजनीतिक की रणनीति और सोची-समझी साजिश के तहत संशोधन किया गया है। जिसका सीधा असर गैर आदिवासियों को सरकारी नौकरी से दूर करना और झारखंड से भगाने की योजना…….

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सरायकेला-खरसावां (संजय मिश्रा) एकता विकास मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक गम्हरिया के घोड़ा बाबा मंदिर प्रांगण में आयोजित की गई। मंच के केंद्रीय अध्यक्ष ए के मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित की गई उक्त बैठक में झारखंड के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई।

बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि

नियोजन नीति में संशोधन कर राष्ट्रभाषा हिंदी, मगही, मैथिली, भोजपुरी अंगिका को शामिल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मौके पर उन्होंने हक और अधिकार के लिए सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करने का आह्वान किया। साथ ही जनता को अधिकार दिलाने के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल दायर करने की तैयारी के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। और एकता विकास मंच का बैंक अकाउंट जाहिर करते हुए आर्थिक सहयोग करने की अपील की।

उन्होंने कहा कि हमारे मान सम्मान और अधिकार की आवाज उठाने वाले माननीय सांसद और विधायक, मंत्री एवं नेता भी खामोश है। जनता आशापूर्ण निगाहों से देख रही है कि माननीय कब अपनी चुप्पी तोड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि गैर आदिवासियों को भगाने के लिए नियोजन नीति से हटाए गए राष्ट्रभाषा हिंदी, भोजपुरी, मगही, मैथिली एवं अंगिका भाषा को एक सोची-समझी राजनीतिक रणनीति और साजिश के तहत किया गया संशोधन है। जिसका सीधा असर गैर आदिवासियों को सरकारी नौकरी से दूर करना और झारखंड से भगाना है।

झारखंड सरकार द्वारा यूपी बिहार के निवासियों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कंपनियों में नहीं रखने की धमकी दी जा रही है। ऐसे में एकता विकास मंच सभी मंत्री, विधायक, सांसद एवं नेताओं से मांग करता है कि झारखंड में निवास करने वाले सभी जाति धर्म एवं संप्रदाय के लोगों की रोजी रोटी और सुरक्षा के लिए सरकार के समक्ष पटल पर आम जनता की बातों को रखें। ताकि सभी की सुरक्षा एवं रोजी-रोटी की व्यवस्था हो सके। और सभी अमन चैन से निवास कर जीवन यापन कर सकें। हिंदी कहां की यदि जनप्रतिनिधि जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरेंगे तो आने वाले समय में जनता उन्हें सबक सिखाएगी। और अपने हक एवं अधिकार के लिए सड़क से लेकर सदन तक खुद आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएगी।

बैठक में मुख्य रूप से कमल सिंह, पीके सिंह, अर्जुन सिंह, सुदर्शन सिंह, भगवान चौधरी, टी एन मिश्रा, सुजीत कुमार, मधु देवी, रूबी देवी, अंजूल देवी, रोमी देवी, मीरा देवी, कमला देवी, शकुंतला देवी एवं गुड़िया देवी सहित अन्य मौजूद रहे।

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